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21 April 2021

ऑक्सीजन की कमी पर दिल्ली HC की केंद्र को फटकार- हजारों लोग मर रहे, आप उनकी जान बचाने के लिए क्या कर रहे हैं

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कोरोना संकट के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको डिमांड और सप्लाई का कोई अंदाज़ा क्यों नहीं है। केंद्र ऑक्सीजन जल्द से जल्द अस्पतालों में भेजने के लिए रोड पर डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाए और अगर संभव हो तो ऑक्सीजन को एयरलिफ्ट कराया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि इससे ज़्यादा हम क्या आदेश करें। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इंडस्ट्रियल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन को तुरंत रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि लोगों को मरने के लिए यूं ही नहीं  छोड़ा जा सकता. ये एक बहुत गंभीर मुद्दा है, लोगों की जिंदगी उनका मौलिक अधिकार है, आप उनकी जान बचाने के लिए क्या कर रहे हैं?

दिल्ली के मैक्स अस्पताल ने आरोप लगाया है कि उसके यहां आने वाले ऑक्सीजन टैंकर को एम्स  भेज दिया गया जिसके चलते उसके मरीजों की जान खतरे में पड़ गई है। इस मामले को लेकर मैक्स अस्पताल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और तुरंत सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत रोकने के लिए कहा। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जिन 5 ब्रांच का मैक्स अस्पताल ने ज़िक्र किया है, उनमें तुरंत ऑक्सीजन बिना देर किए पहुंचाई जाए। कोर्ट ने केंद्र को कहा कि तुरं दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई देकर जरूरत को पूरा किया जाए और उन लोगों की जिंदगी को बचाया जाए जो फिलहाल अस्पतालों में भर्ती हैं. जीने का अधिकार उनका मौलिक अधिकार है।  

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कोरोना के कोहराम के बीच दवाओं और ऑक्सीजन जैसी चीजों की किल्लत को लेकर मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य की जरूरतों और स्थिति के आधार पर रेमडेसिविर जैसी दवाइयों और संसाधनों का आवंटन कर रही है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो लोग एक दूसरे की जान ले लेंगे।

वहीं, एक जनहित याचिका पर सुनवाई करकते हुए संसाधनों और दवाओं के आवंटन में विवेक का इस्तेमाल नहीं किए जाने के संबंध में जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बैंच ने कहा, 'हम बर्बाद हो जाएंगे'।

केंद्र सरकार की ओर से स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा तथा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर मेडिकल राय विभाजित है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने अदालत से कहा कि डॉक्टर रेमडेसिविर दवाई लिख रहे हैं, लेकिन पर्चा होने के बावजूद यह बाजार में नहीं मिल रही है।

बेंच ने कहा कि कुल मिलाकर अर्थ यह है कि इसकी (रेमडेसिविर) आपूर्ति कम है। बेंच ने कहा कि उत्पादन के लिए इकाइयों की स्थापना की खातिर मंजूरी देने से तुरंत परिणाम नहीं मिलेगा क्योंकि इकाई स्थापित करने में समय लगता है।

वहीं, केंद्र ने हाईकोर्ट को मंगलवार को सूचित किया कि फिलहाल दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और कुछ उद्योगों को छोड़कर ऑक्सीजन के अन्य तरह के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अदालत को बताया गया कि 20 अप्रैल तक की स्थिति के अनुसार, मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता में 133 प्रतिशत की असामान्य बढ़ोतरी का अनुमान है। दिल्ली द्वारा बताई गई मांग का प्रारंभिक अनुमान 300 मीट्रिक टन का था जिसका संशोधित अनुमान बढ़कर 700 मीट्रिक टन हो गया।

केंद्र ने हाईकोर्ट को यह जानकारी भी दी कि उसने दिल्ली सरकार के अस्पतालों को करीब 1,390 वेंटिलेटर मुहैया करवाए हैं। इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से सवाल किया था कि क्या उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम करके उसे वह मरीजों को मुहैया कराई जा सकती है।

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने केन्द्र सरकार से कहा था कि उद्योग इंतजार कर सकते हैं। मरीज नहीं, मानव जीवन खतरे में है। बेंच ने कहा कि उसने सुना है कि गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को कोविड-19 के मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन मजबूरी में कम करना पड़ रही है, क्योंकि वहां जीवन रक्षक गैस की कमी है।

मंत्रालय ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता को बढ़ाने की खातिर पीएम केयर्स फंड की मदद से आठ प्रेशर स्विंग अड्सॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। उसने कहा कि इन संयंत्रों की मदद से मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता 14.4 मीट्रिक टन बढ़ जाएगी।

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OUTLOOK 21 April, 2021
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