दस साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक हटाने को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केंद्र
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से जानना चाहा कि इस प्रतिबंध के बारे में राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली ऐसी ही एक अन्य याचिका की क्या स्थिति है।
अटार्नी जनरल ने कहा कि वह याचिका शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी। इस पर पीठ ने उस याचिका से संबंधित रिकार्ड के बारे में जानकारी मांगी और अटार्नी जनरल से जानना चाहा कि किस आधार पर वह याचिका खारिज की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार जब आर्थिक स्थिति और दूसरी बातों के बारे में कह रही है तो उसे इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
रोहतगी ने पीठ से कहा कि खारिज की गई याचिका से संबंधित रिकार्ड दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ वक्त दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रतिबंध की वजह से समाज का गरीब तबका प्रभावित हो रहा है। पीठ ने कहा कि आप संबंधित रिकार्ड पेश कीजिए। हम इसके बाद इस मामले को सूचीबद्ध करेंगे।
हरित अधिकरण ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर काबू पाने के इरादे से 26 नवंबर, 2014 को अपने फैसले में कहा था कि 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों को दिल्ली की सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं होगी। इसके बाद अधिकरण ने सात अप्रैल,2015 को अपने आदेश में कहा कि दस साल से अधिक पुराने किसी भी वाहन को दिल्ली में चलने की अनुमति नहीं होगी।
शीर्ष अदालत ने 15 साल पुराने सभी डीजल और पेटोल वाहनों के दिल्ली की सड़कों पर चलने पर प्रतिबंध लगाने के अधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका 20 अप्रैल 2015 को खारिज कर दी थी। यह याचिका एक वकील ने दायर की थी। डीजल कार मालिकों को उस समय एक और भुाटका लगा था जब 18 जुलाई, 2016 को अधिकरण ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि 10 साल पुराने सभी डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द किया जाए। (एजेंसी)