छत्तीसगढ़ ने सीबीआई के डायरेक्ट एक्शन पर लगाई रोक, आंध्र और पश्चिम बंगाल भी ले चुके हैं फैसला
अब छत्तीसगढ़ सरकार ने सीबीआई के डायरेक्ट एक्शन पर रोक लगा दी है। सीबीआई को केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी उपक्रमों और निजी लोगों की जांच या छापेमारी के लिए अब राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी। यह कदम राज्य सरकार ने उसे मिले अधिकार के तहत उठाया है। इससे पहले आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें भी इस तरह का फैसला ले चुकी हैं।
असल में कानून के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार दिया है कि वह सीबीआई को एंट्री दे या नहीं। सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम-1946 के जरिए बनी संस्था है। अधिनियम की धारा-5 में देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच की शक्तियां दी गई हैं लेकिन धारा-6 में कहा गया है कि राज्य सरकार की सहमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती।
इसी कानून के तहत छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सीबीआई के डायरेक्ट एक्शन पर रोक लगाते हुए इसकी जानकारी केंद्र सरकार को दे दी है। राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि वह राज्य में कोई नया मामला दर्ज करने का निर्देश न दें।
नहीं कर सकेगी सीधे छापेमारी
राज्य सरकार के आम सहमति वापस लेने के बाद अब सीबीआई को राज्य में किसी मामले की जांच, छापेमारी या किसी अन्य कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होगी तथा राज्य में केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी उपक्रमों और निजी व्यक्तियों की जांच सीधे नहीं कर सकेगी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी प्रदेश में कोई कदम नहीं उठा सकेगी। सीबीआई खुद मामले की जांच शुरू नहीं कर सकती। राज्य और केंद्र सरकार के कहने या हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही जांच कर सकती है।
मिसयूज के लगते रहे हैं आरोप
राज्यों में सीबीआई के गैर-जरूरी हस्तक्षेप को लेकर राज्य सरकारें आवाज उठाती रही हैं। सीबीआई के मिसयूज को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। खासतौर पर राजनीतिज्ञों के खिलाफ इसे टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। हाल में आलोक वर्मा की बहाली के बाद खुलकर कई राजनीतिज्ञों ने इस तरह के आरोप लगाए हैं।