पैंगोंग झील पर भारत के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में पुल बना रहा चीन, विदेश मंत्रालय ने जताया एतराज, कहा- सम्प्रभुता और अक्षुण्णता का करें सम्मान
पैंगोंग लेक पर चीन ने दूसरे पुल का निर्माण पर विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन जिस इलाके में दूसरा पुल बना रहा है वह क्षेत्र 1960 से ही उसके अवैध कब्जे में है। भारत ने कभी भी उसके क्षेत्र पर चीन के इस अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है और ना ही उन क्षेत्र में किसी निर्माण को स्वीकार करते हैं।
क़ई अवसरों पर भारत ने यह स्प्ष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर उसका अविभाज्य अंग है। हमारी अपेक्षा है कि अन्य देश भारत की सम्प्रभुता और अक्षुण्णता का सम्मान करें। सरकार देश की सुरक्षा से जुड़े सभी घटनाक्रमों पर लगातार नज़र रखती है और इसको सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
बागची ने कहा कि सरकार, खासकर 2014 के बाद से सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों समेत बुनियादी ढांचे का तेजी से निर्माण करा रही है। सीमाई इलाकों में बुनियादी ढांचों के निर्माण का मकसद देश की रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही इन इलाकों में आर्थिक विकास को गति देना भी है। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर लगाता नजर रखती है और इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय करती है।
चीन की पीएलए ने पूर्वी लद्दाख की विवादित पैंगोंग झील पर दूसरे पुल का निर्माण-कार्य शुरू कर दिया है जिसे लेकर ओपन-सोर्स इंटेलीजेंस, डेड्रस्फा (डैमिन सिमोन) ने सैटेलाइट इमेज के जरिए इस बात का खुलासा किया था। हालांकि, चीन ने इस पुल का निर्माण भी पहले ब्रिज की तरह ही अपने अधिकार-क्षेत्र वाली झील पर शुरू किया है लेकिन चिंता की बात ये है कि ये भारत से सटी एलएसी के बेहद करीब है। डेट्रस्फा ने जो सैटेलाइट इमेज जारी की थी, उससे पता चलता है कि दूसरा पुल पहले ब्रिज से सटा हुआ है।