"गीता प्रेस गोरखपुर" को 'गांधी शांति' पुरस्कार देने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी, अब सामने आया अमित शाह का बयान
"गीता प्रेस गोरखपुर" को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा होने के ठीक बाद देशभर की सियासत गरमा गई है। भाजपा और कांग्रेस द्वारा एक दूसरे के ऊपर टीका टिप्पणी का सिलसिला जारी है। कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की है। अब गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर कहा कि भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है।
गौरतलब है कि 1923 में स्थापित हुई गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। खासतौर पर इनमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं। गांधी शांति पुरस्कार की बात करें तो यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है। वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी।
अब इस विवाद पर अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, "100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनके द्वारा किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।"
भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने का अद्भुत…
— Amit Shah (@AmitShah) June 19, 2023
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है, जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।"
भाजपा नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया, "कर्नाटक में जीत के साथ, कांग्रेस ने अब खुले तौर पर भारत के सभ्यतागत मूल्यों और विरासत के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया है, चाहे वह धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या गीता प्रेस की आलोचना हो। भारत के लोग इस आक्रामकता का विरोध करेंगे।" वहीं, रविशंकर प्रसाद ने कहा, "तीन तलाक, राम मंदिर का विरोध करने वाली कांग्रेस से और क्या उम्मीद की जा सकती है। इसका विरोध पूरे देश को करना चाहिए।"