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01 May 2020

एम्स ऋषिकेश के डायरेक्टर का विवादास्पद आदेश, कार्य करने में अक्षम दिव्यांग रिटायर किए जाएंगे

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के डायरेक्टर एवं सीईओ प्रो. रवि कांत के एक आदेश से विवाद उत्पन्न हो गया है। 9 अप्रैल 2020 के इस आदेश में कहा गया है कि फैकल्टी समेत कोई भी कर्मचारी अगर शारीरिक या मानसिक दिव्यांगता के कारण अपना कार्य करने में सक्षम नहीं है, तो उसे सीसीएस नियमों के तहत अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया जाएगा।

दिव्यांग अधिकार संगठन ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र

नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड (एनपीआरडी) ने इस सिलसिले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में दिव्यांग अधिकारिता विभाग की सचिव को पत्र लिखा है। शुक्रवार, 1 मई 2020 को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि डायरेक्टर ने अपने आदेश में कहीं यह नहीं लिखा कि सीसीएस नियमों की किस धारा में अनिवार्य रिटायरमेंट का प्रावधान है।

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सेवा के दौरान दिव्यांग हुए कर्मचारी को रिटायरमेंट तक रखने का नियम

संगठन के महासचिव मुरलीधरन ने सरकार के उन नियमों का भी हवाला दिया है, जिनका यह आदेश उल्लंघन करता है। उन्होंने 4 जनवरी 2019 को अधिसूचित सेंट्रल सर्विसेज (पेंशन) अमेंडमेंट रूल्स 2018 और आरपीडी एक्ट 2016 का जिक्र किया है। आरपीडी एक्ट के अनुसार, “अगर कोई कर्मचारी सेवा के दौरान दिव्यांग होता है तो कोई भी सरकारी प्रतिष्ठान उसे न तो हटाएगा और न ही उसकी रैंक कम करेगा। अगर वह दिव्यांगता के कारण पुराना काम करने लायक नहीं रह जाता है, तो उसे समान वेतनमान और सेवा लाभ के साथ दूसरा पद दिया जाएगा। अगर उसे किसी पद पर समायोजित करना संभव न हो तो उचित पद उपलब्ध होने या रिटायरमेंट की उम्र तक उसे अतिरिक्त कर्मचारी के रूप में रखा जाए।”

पत्र के अनुसार एम्स ऋषिकेश के डायरेक्टर का आदेश आरपीडी एक्ट 2016 और सीसीएस नियमों का उल्लंघन करता है। यही नहीं, यह संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन के भी खिलाफ है। इसलिए डायरेक्टर को यह आदेश तत्काल वापस लेने के लिए कहा जाए।

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TAGS: Controversial order, AIIMS, Rishikesh, director, disabled, Unable to work, will retire
OUTLOOK 01 May, 2020
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