मोदी जी महात्मा गांधी की बातें करते हैं और उनकी पार्टी के नेता मार-काट की
पिछले कई दिनों से भारत में जो कुछ हो रहा है, 'गेम ऑफ थ्रोन्स' वालों को यहां ठीक-ठाक प्लॉट मिल सकता है। लेकिन यहां सब कुछ बयानों में है। मार-काट, चीर-फाड़, सिर काट दूंगा, हाथ उखाड़ दूंगा जैसी घोर ‘अहिंसक’ बातें और ये ‘अहिंसक’ बातें उस पार्टी के लोग कर रहे हैं, जिसका इस समय देश पर शासन है।
भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में बयानों की झड़ी लगा दी है और इनमें सिवाय नफरत के कुछ नजर नहीं आता। वहीं इसके उलट देश के प्रधानमंत्री हर 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी को बड़ी शिद्दत से याद करते हैं। वही महात्मा गांधी जिनके लिए अहिंसा सबसे बड़ा सूत्रवाक्य हुआ करता था।
बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय सोमवार को इतने आवेश में आ गए कि उन्होंने मोदी के खिलाफ उंगली उठाने वालों के हाथ काटने या तोड़ने की धमकी दे डाली। राय ने कहा, 'पीएम की ओर उठने वाली अंगुली या हाथ को तोड़ देना चाहिए, या काट डालना चाहिए।' हालांकि बाद में उन्होंने इस बयान को लेकर माफी भी मांग ली।
Your own son rose out of poverty to become PM, regardless of differences everyone in the country should value it. If any hand or finger is raised against him (Modi), we should come together & break it & if need be even chop it off: Nityanand Rai, MP & Bihar BJP Chief (20.11.2017) pic.twitter.com/ILoXEEzMg0
— ANI (@ANI) November 21, 2017
दूसरी तरफ, इन दिनों एक ही मुद्दा है, संजय लीला भंसाली की फिल्म- पद्मावती। शूटिंग के समय से ही इस फिल्म को बगैर देखे विवादित बना दिया गया है। कहा जा रहा है कि इसमें राजपूतों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। भंसाली ने वीडियो जारी कर इस बात पर 'सफाई' भी दी लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं। कोई भंसाली की गरदन काटने की बात कर रहा है, कोई दीपिका पादुकोण के सिर पर ईनाम रख रहा है। इसी क्रम में भाजपा के एक नेता भी शामिल रहे। हरियाणा भाजपा के चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर सूरज पाल अमू।
अमू ने फिल्म में खिलजी बने रणवीर सिंह को धमकाते हुए कहा, 'अगर तूने अपने शब्द वापस नहीं लिए तो तेरी टांगों को तोड़कर हाथ में दे देंगे।' रणवीर सिंह ने फिल्म के लिए भंसाली का बचाव किया था।
अमू वही शख्स हैं जिन्होंने दीपिका पादुकोण के सिर पर 5 करोड़ का ईनाम रखने वाले शख्स का समर्थन किया था और इस रकम को ‘बढ़ाकर’ 10 करोड़ कर दिया था।
अमू के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई लेकिन उन्होंने अपने मुखारविंद से हिंसक बातें नहीं रोकीं।
नरेंद्र मोदी गांधी के स्वच्छता अभियान की भी बात करते हैं लेकिन अमू ने स्वच्छता अभियान की अलग ही परिभाषा गढ़ दी। उन्होंने कहा, 'हिंदुस्तान के सारे सिनेमा हॉल में स्वच्छता अभियान चलाएंगे। एक-एक स्क्रीन को आग लगाने की क्षमता रखता है क्षत्रिय समाज और इस देश का युवा।'
नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी पर बोलते रहते हैं लेकिन इस साल 2 अक्टूबर को उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश जारी किया था, जो गांधी पर दिए गए उनके कई भाषणों का टीजर जैसा था। इसमें मोदी गांधी के आदर्शों की बात करते हैं। वीडियो में वह कहते हैं, '2 अक्टूबर को पोरबंदर की धरती पर एक युग का जन्म हुआ था। वे किसी देश की सीमाओं में समाहित होने वाला व्यक्तित्व नहीं थे, वह एक विश्व मानव थे। महात्मा गांधी आज भी दुनिया के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वह अपने जीवन काल में थे। ऐसा उनका व्यक्तित्व दुनिया के लिए एक अजूबा है।'
प्रधानमंत्री कहते हैं, 'महात्मा गांधी ने जो विचार दिए, अपने जीवन की कसौटी पर कस करके दिए। महात्मा गांधी प्रकृति के साथ संवाद करना सिखाते थे, प्रकृति के साथ संघर्ष का रास्ता उनको मंजूर नहीं था. महात्मा गांधी का जीवन न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट (कम प्रदूषण फैलाने वाला) जीवन था। मानव जात को आतंकवाद से मुक्त करना है, तो भी महात्मा गांधी के रास्ते से ही मुक्त किया जा सकता है। गांधी के लिए आजादी से भी ज्यादा स्वच्छता का महत्व था। गांधी कहा करते थे, भूखे का भगवान तो रोटी होता है, गांधी ने आजादी को जन आंदोलन में बदला।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना कितना पीछे टूट गया है। क्या हम हमारे भीतर उसे पुनर्जीवित कर सकते हैं? आइए हम सब महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ कदम चलें।'
गांधी जयंती पर बापू को शत्-शत् नमन! I bow to beloved Bapu on Gandhi Jayanti. His noble ideals motivate millions across the world. pic.twitter.com/NFUHMLVCxo
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2017
सवाल ये है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री होने से पहले भाजपा के सदस्य हैं और इस वक्त सबसे बड़े नेता हैं। क्या उन तक उनकी ही पार्टी के नेताओं की ये बातें नहीं पहुंचती होंगी? क्या वे अपनी पार्टी के नेताओं से कहते होंगे कि मेरी छवि का ख्याल रखो? मैं महात्मा गांधी के अहिंसा और स्वच्छता की बात करता हूं, तुम लोग हिंसा और दूसरे टाइप की स्वच्छता की बातें करते हो।
एक प्रधानमंत्री के तौर पर भी वो इन लोगों को संदेश दे सकते हैं, जैसे उन्होंने 'गोरक्षकों' को दिया था। प्रधानमंत्री का कोई भी संदेश मायने रखता है क्योंकि एक लोकतांत्रिक देश में असहमतियां ठीक हो सकती हैं, हिंसा का आह्वान नहीं।