दस राज्यों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा, केंद्र ने इन राज्यों को दिए ये निर्देश
कोरोना वैक्सीनेशन के तमाम सरकारी दावों के बीच 10 राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से ज़्यादा है। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंकाओं के बीच इन राज्यों में संक्रमण बढ़ने से नये सिरे से चिंताएं पैदा हो गई हैं। केंद्र सरकार ने 10 प्रतिशत से ज़्यादा कोरोना पॉजिटिविटी वाले जिलों में भीड़ रोकने और लोगों के आपस में मिलने जुलने पर सख्त पाबंदी के निर्देश दिए हैं।
केंद्र ने कहा है कि 45 से 60 और 60 से ऊपर की उम्र के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जल्दी से जल्दी वैक्सीन टीका दे। इसके अलावा कोरोना संक्रमण रोकने के लिए होम आइसोलेटेड लोगों की प्रभावी और नियमित निगरानी के साथ निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन पीएसए प्लांट लगाने पर जोर दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि जिन राज्यों में 10 प्रतिशत से ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट है, वहाँ 80% से ज्यादा सक्रिय मामले होम आइसोलेशन में हैं। इन मामलों पर प्रभावी ढंग से और सख्ती से निगरानी रखने की ज़रूरत है जिससे वे आपस में मिल कर अपने पड़ोस, समुदाय, गाँव, मोहल्ला, वार्ड आदि में न घूमें और संक्रमण न फैलाएं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने शनिवार को 10 राज्यों में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इन राज्यों में केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, मिजोरम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और मणिपुर हैं। बैठक में आईसीएमआर के महानिदेशक (डीजी) डॉ. बलराम भार्गव और सचिव (डीएचआर) भी उपस्थित थे। इनके अलावा इसमें इन सभी राज्यों के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), मिशन निदेशक (एनएचएम), राज्य निगरानी अधिकारी ने हिस्सा लिया।
आईसीएमआर के महानिदेशक ने पिछले हफ्ते से प्रतिदिन लगभग 40,000 मामलों की रिपोर्ट को देखते हुए किसी भी तरह की संतुष्टि के खिलाफ चेतावनी दी है। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि 46 जिलों में 10 फीसदी से अधिक संक्रमण दर है, वहीं अन्य 53 जिलों में 5 फीसदी से 10 फीसदी के बीच संक्रमण दर है, उन्होंने राज्यों से अपने परीक्षण में तेजी लाने का आग्रह किया। राज्यों को सलाह दी गई है कि वे जिला-वार रोग प्रसार डेटा के लिए खुद के राज्य स्तरीय सीरो-सर्वेक्षण करें, क्योंकि सर्वेक्षण के समान ठोस प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने के लिए आईसीएमआर के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर का सीरो-प्रसार सर्वेक्षण प्रकृति में भिन्न था।
उन्होंने राज्यों को 60+ और 45-60 आयु वर्गों में टीकाकरण में तेजी लाने की सलाह दी, क्योंकि साक्ष्य से पता चलता है कि मृत्यु दर का लगभग 80 फीसदी हिस्सा इन्हीं कमजोर आयु समूहों से है। प्रवर्तन उपायों के संबंध में, उन्होंने राज्य के अधिकारियों को सभी गैर-जरूरी यात्रा से बचने और लोगों की सभी बड़ी सभाओं को हतोत्साहित करने की सलाह दी है।