123 भ्रष्ट अधिकारियों पर एक्शन में देरी, सीवीसी को चार महीने से नहीं मिली मंजूरी
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) 45 बैंक अधिकारियों सहित 123 भ्रष्ट अधिकारियों पर केस चलाने के लिए सरकार से मंजूरी मिलने का पिछले चार महीनों से इंतजार कर रहा है। भ्रष्टाचार में कथित तौर पर लिप्त अधिकारियों की इस सूची में आइएएस अधिकारी, सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के भी अधिकारी शामिल हैं।
बैंक अधिकारियों की सूची सबसे लंबी
इन भ्रष्ट अधिकारियों की सूची में सबसे ज्यादा सरकारी बैंकों के अधिकारी हैं जिनकी संख्या 45 है। नियम के मुताबिक, भ्रष्ट अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति चार महीने में मिल जानी चाहिए।
इन विभागों में अटके हैं मामले
भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाले सीवीसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक कुल 56 मामलों में लिप्त अधिकारियों पर केस चलाने के लिए अनुमति विभिन्न सरकारी संगठनों के स्तर पर लंबित है। सबसे ज्यादा आठ मामले कार्मिक मंत्रालय के स्तर पर अटके हैं। कार्मिक मंत्रालय भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई के लिए नोडल विभाग के रूप में काम करता है। रेलवे मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के स्तर पर पांच-पांच मामले लंबित हैं। सीवीसी के अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक सीबीआइ के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, ईडी के एक सहायक निदेशक और आयकर विभाग के एक अधिकारी के खिलाफ भी केस चलाने के लिए अभी तक अनुमति नहीं मिली है।
इन बैंकों के अफसरों शामिल
सीवीसी के अनुसार बैंकों के मामले में 45 अधिकारी और कर्मचारियों की लिप्तता वाले कुल 15 मामलों पर कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, सिंडीकेंट बैंक और ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के स्तर पर अटकी है।
सीवीसी भी अपने स्तर पर कार्रवाई में सुस्त
सीवीसी ने बताया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कॉरपोरेशन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पीएनबी और सिंडीकेट बैंक के 16 अधिकारियों की लिप्तता वाले सात मामलों पर आयोग इस बात से सहमत था कि इन पर केस चलाने के लिए संबंधित विभागों और संगठनों से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि कार्रवाई अथवा इसके बारे में फैसला अभी भी लंबित है।
ये राज्य भी नहीं दे रहे अनुमति
सीवीसी ने बताया कि दो मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए केंद्र शासित राज्यों, राजस्व विभाग, रक्षा मंत्रालय, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से अनुमति नहीं मिली है। छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की राज्य सरकारों से भी उनके अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए एक-एक मामले में मंजूरी की प्रतीक्षा है।