यमुना एक्सप्रेस-वे पर सरपट भागती मौत, 2019 में अब तक 127 लोगों की गई जान
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में यमुना एक्सप्रेस-वे पर सोमवार सुबह हुए भीषण बस हादसे में 29 लोगों की मौत हो गई जबकि 16 लोग घायल हो गए। यूपी रोडवेज की डबल डेकर बस लखनऊ से दिल्ली जा रही थी और 40 फीट गहरे नाले में जा गिरी। शुरुआती जांच में पता चला है कि ड्राइवर को झपकी आ गई थी जिससे यह दर्दनाक हादसा हुआ। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यूपी की राजधानी को देश की राजधानी से जोड़ने वाला यमुना एक्सप्रेस-वे 'मौत का एक्सप्रेस-वे' बनता जा रहा है और इस पर मौत सरपट भाग रही है।
हादसों का एक्सप्रेस-वे
यमुना एक्सप्रेस-वे नौ अगस्त 2012 को आम नागरिकों के उपयोग के लिए खोला गया था। लेकिन शुरुआती वर्षों में ही यह एक्सप्रेस वे हादसों की वजह से चर्चा में आने लगा और अब तक इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
रविवार देर रात को ही एक्सप्रेस-वे पर एक और हादसा हुआ था। आगरा के एत्मादपुर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले इलाके में यमुना एक्सप्रेस-वे पर खराब टायर को बदल रहे एक ट्रक ड्राइवर को किसी वाहन ने कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गई। यमुना एक्सप्रेस-वे पर सोमवार के हादसे में मारे गए लोगों की संख्या को अगर मिला दें तो इस साल अब तक 247 सड़क दुर्घटनाओं में 127 लोगों की मौत हो चुकी है। यही नहीं 2018 का साल भी हादसों से भरा रहा था। साल 2018 में 659 सड़क दुर्घटनाओं में 110 लोगों की मौत हो गई थी।
तेज रफ्तार हादसों की प्रमुख वजह
जहां तक यमुना एक्सप्रेस वे का सवाल है तो यहां हादसों का मुख्य कारण तेज रफ्तार है। ऐसा तब है जबकि यहां गाड़ियों की रफ्तार की एक तय सीमा है, वाहनों की गति पर नजर रखने के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और अक्सर पुलिस पेट्रोलिंग भी करती रहती है। दोपहिया वाहनों को लिए हेलमेट अनिवार्य है और ओवरस्पीडिंग पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है लेकिन लोग इन नियम की अनदेखी कर रहे हैं और पुलिस-प्रशासन की लापरवाही भी हादसों के लिए जिम्मेदार है।
कंक्रीट का एक्सप्रेस-वे होने की वजह से फटते हैं टायर
वाहनों की तेज गति के अलावा चालक को झपकी या नींद आने की वजह से भी हादसे होते हैं। ठंड के मौसम में कुहरे के कारण भी कई बार हादसे होते हैं, हालांकि उसके लिए एक्सप्रेस वे पर जगह फॉग लाइट की व्यवस्था की गई है। गर्मी के मौसम में अक्सर वाहनों के टायर फटने की वजह से भी हादसे होते हैं जिसके लिए पूरे एक्सप्रेस वे का कंक्रीट से बने होने को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है।
गति सीमा पर रखी जाती है निगरानी
यमुना एक्सप्रेस वे पर वाहनों की गति सीमा की निगरानी के लिए हाईटेक सिस्टम है, तय सीमा से अधिक की गति से चलने वाले वाहनों को कैमरे में कैद कर इसकी रिपोर्ट आरटीओ और एसपी ट्रैफिक कार्यालय में मेल की जाती है। बावजूद इसके, हादसों में कोई कमी नहीं आ रही है।
सोमवार की दुर्घटना
सोमवार की घटना के बारे में लखनऊ यूपीएसआरटीसी के एआरएम अंबरीन अख्तर ने कहा, 'हादसे का शिकार बस 45 वर्षीय कृपा शंकर चौधरी चला रहे थे और सड़क दुर्घटना के मामले में उनका अब तक का शून्य रिकॉर्ड रहा है। हमें उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।'
'बहुत तेजी से जा रही थी बस'
उधर, राज्य सरकार ने इस हादसे के संबंध में जांच के आदेश दे दिए हैं। इस एक्सप्रेस-वे की देखरेख करने वाली जेपी इंफ्राटेक सोमवार शाम तक अपनी रिपोर्ट देगी। एम योगी आदित्यनाथ ने सभी पीड़ित परिवारों को 5 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। इस हादसे में मारे गए सत्य प्रकाश शर्मा की पत्नी मंजू शर्मा ने बताया कि बस बहुत तेजी से जा रही थी और अचानक यह डिवाइडर से टकरा गई और नाले में गिर गई। मंजू के सिर और पीठ में चोटें आई हैं।
बस में 40-45 यात्री थे सवार
मिली जानकारी के अनुसार अवध डिपो की रोडवेज बस रविवार रात 10 बजे आलमबाग रोडवेज बस स्टैंड से सवारियों को लेकर दिल्ली के लिए निकली थी। बस लखनऊ एक्सप्रेस-वे और इनर रिंग रोड होते हुए तड़के लगभग साढ़े चार बजे करीब बस यमुना एक्सप्रेस- वे पर पहुंच गई। बताया जा रहा है कि यहां से दो-तीन किलोमीटर चलते ही चालक को झपकी आ गई। इसके बाद अनियंत्रित होकर बस यमुना एक्सप्रेस- वे की चार फीट ऊंची रेलिंग को तोड़ते हुए 40 फीट गहरे नाले में जा गिरी। बताया जा रहा है कि बस में लगभग 40 से 45 यात्री सवार थे। हादसे के समय अधिकतर यात्री गहरी नींद में थे। किसी को चीखने का भी मौका नहीं मिला।