दिल्ली महिला आयोग ने समलैंगिक समूह के कनवर्जन थेरेपी पर की एक्शन लेने की मांग, NMC को नोटिस जारी
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर समलैंगिक समूहों के लिए अवैध रुपांतरण (कनवर्जन) थेरेपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और मामले की जांच रिपोर्ट की कापी भी मांगी है।
मालीवाल ने कहा कि इस थेरेपी का वर्ल्ड कांग्रेस आफ साइकोलाजिस्ट्स संगठन के बैनर तले विज्ञापन दिया जा रहा है, जिसमें लिखा है कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति में अपने मुख्यालय से संगठन तीन माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम 10 मार्च को शुरु हुआ था। संगठन ने 47 विभिन्न विकारों से निपटने के लिए प्रशिक्षण की पेशकश की है और इसमें समलैंगिकता और प्रतिजातीय वेशधारण (ट्रांसवेस्टिज्म) भी शामिल है।
स्वाति मालीवाल ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (एपीए) ने एक प्रस्ताव जारी किया था जिसमें कहा गया था कि समलैंगिकता कोई मानसिक बीमारी या विकार नहीं है। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि रुपांतरण थेरेपी अभी भी प्रचलित है। उन्होंने एमएमसी से मामले को लेकर संगठन, उसके पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई इस का ब्यौरा मांगा है। उन्होंने पूछा है कि क्या उनके लाइसेंस रद्द किए गए हैं। आयोग ने रुपांतरण थेरेपी पर प्रतिबंध लगाने वाले दिशा-निर्देशों की कॉफी भी मांगी है।
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 2021 के एक फैसले में, कहा गया है कि एलजीबीटीआईक्यूए+ लोगों की यौन अवधारणा को बदलने, चिकित्सकीय रूप से ‘इलाज’ करने या ट्रांसजेंडर लोगों की लिंग पहचान को प्रभावित करने का कोई भी प्रयास निषिद्ध है। कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, भारतीय मनश्चिकित्सीय सोसायटी और भारतीय पुनर्वास परिषद को भी निर्देश दिया कि वे रूपांतरण ‘चिकित्सा’ की विधि में शामिल संबंधित पेशेवर के खिलाफ कार्रवाई करें, जिसमें अभ्यास करने के लिए उनका लाइसेंस वापस लेना शामिल है।