नागरिक से पहले वोटर बनने का मामला...सोनिया गांधी का क्या होगा, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी के वकील से विशिष्ट प्रश्न पूछने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पवन नारंग ने कहा कि जनवरी 1980 में सोनिया गांधी भारतीय नागरिक नहीं थीं।उन्होंने तर्क दिया, "अगर वह भारतीय नागरिक नहीं थीं तो उनका नाम मतदाता के रूप में कैसे शामिल किया जा सकता है? वे कौन से दस्तावेज़ थे जिनके आधार पर उनका नाम नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल किया गया? उनका नाम हटा दिया गया था, जिससे पता चलता है कि कुछ गड़बड़ थी। भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले 1983 में उनका नाम फिर से मतदाता सूची में था।"
राउज एवेन्यू कोर्ट में एक याचिका दायर कर अप्रैल 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में शामिल करने की परिस्थितियों की जांच की मांग की गई है।नारंग ने तर्क दिया था कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी है, तथा इस बात पर जोर दिया था कि कथित कृत्य एक संज्ञेय अपराध है जिसके लिए पुलिस जांच आवश्यक है।शिकायत के अनुसार, सोनिया गांधी, जो मूल रूप से इतालवी नागरिक थीं, 30 अप्रैल, 1983 को नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत भारतीय नागरिक बन गईं।हालाँकि, उनका नाम 1981-82 में ही नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल था, जिससे उस समय चुनाव आयोग को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर सवाल उठे।
नारंग ने बताया कि इंदिरा गांधी का नाम, स्वर्गीय संजय गांधी के साथ, 1982 में मतदाता सूची से हटा दिया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह का विलोपन यह दर्शाता है कि मतदाता सूची में उनकी पूर्व प्रविष्टि अनियमित थी, क्योंकि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में नामांकित होने के पात्र हैं।
नारंग ने दलील दी कि नागरिकता दिए जाने से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए "जाली या झूठे" दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया गया होगा। उन्होंने अदालत को बताया, "एक सरकारी अधिकारी को गुमराह किया गया है और धोखाधड़ी की गई प्रतीत होती है।"उन्होंने आगे तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे याचिकाकर्ता के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
याचिका में एफआईआर दर्ज करने और कथित अपराधों की जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।शिकायत में 1985 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के राकेश सिंह बनाम सोनिया गांधी मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें एक चुनाव याचिका के संदर्भ में सोनिया गांधी की नागरिकता के मुद्दे की जाँच की गई थी। हालाँकि अदालत ने तब माना था कि वह 30 अप्रैल, 1983 को पंजीकरण के ज़रिए भारतीय नागरिक बन गई थीं, लेकिन मौजूदा याचिका में तर्क दिया गया है कि उस तारीख से पहले किसी भी मतदाता का नामांकन अवैध था।याचिकाकर्ता ने अदालत से पुलिस को जांच करने, रिकॉर्ड मांगने और उस अवधि के दौरान चुनाव आयोग को सौंपे गए दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश देने का आग्रह किया है।