सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मास्टर प्लान के अपने आदेश में संशोधन से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मास्टर प्लान-2021 में संशोधन के बारे में जनता से सुझाव मंगाने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण को निर्देश देने संबंधी अपने आदेश में संशोधन करने से इंकार कर दिया।
गुरुवार को जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस नवीन सिन्हा की बैंच ने केन्द्र की इस दलील को नहीं माना कि जनता से सुझाव या आपत्तियां आमंत्रित करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि डीडीए पहले ही यह कवायद कर चुका है। बैंच ने कहा कि हमने अपने आदेश में केंद्र और डीडीए के संशोधन के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच मई के आदेश में डीडीए की कार्य योजना को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने अवैध निर्माणों के बारे में जनता को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए एक वेबसाइट और स्मार्ट फोन एप शुरू करने के लिए कहा था और इसके लिए डीडीए को 15 का दिन समय दिया था। डीडीए ने दिल्ली में अवैध निर्माण की गतिविधियों और मास्टर प्लान तथा भवन उपनियमों के उल्लंघन के मामलों में अफसरों की जिम्मेदारी तय करने का प्रस्ताव किया था।
पांच पेज की कार्य योजना में डीडीए ने कहा था कि उसकी योजना एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की निगरानी में राजधानी में हो रहे और भावी अवैध निर्माणों की जांच कराने की है। कोर्ट के आदेश के बाद 25 अप्रैल को इस कार्य बल का गठन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने छह मार्च को अवैध निर्माण के खिलाफ चल रहे अभियान से ऐसे निर्माणों को बचाने के इरादे से दिल्ली के मास्टर प्लान-2021 में संशोधन के मामले में आगे की प्रगति पर रोक लगाते हुए सख्त चेतावनी दी थी कि इस तरह की दादागिरी बंद होनी चाहिए।