दिल्ली की वायु गुणवत्ता दशहरे के बाद ‘खराब’ हुई, सुधार का अनुमान
दशहरे के एक दिन बाद रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़कर 'खराब' श्रेणी में पहुंच गई, जिसके मद्देनजर केंद्र ने चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के प्रथम चरण के तहत वायु प्रदूषण रोधी कदम उठाने से पूर्व स्थिति पर बारीकी से नजर रखने का फैसला किया।
शनिवार को दशहरा उत्सव के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के खुले मैदानों में पटाखों से बने रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतले जलाए गए थे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से शाम चार बजे जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुलेटिन के अनुसार, रविवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 224 पर पहुंच गया।
एक बयान के अनुसार, वायु गुणवत्ता आयोग (सीएक्यूएम) उप-समिति ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के साथ वर्तमान वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान की समीक्षा की।
आईएमडी/आईआईटीएम के पूर्वानुमान में यह भी कहा गया है कि वायु गुणवत्ता सुधार के साथ 'मध्यम' श्रेणी में पहुंच जाएगी।
सीएक्यूएम उप-समिति जीआरएपी (जीआरएप) के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है। जीआरएपी सर्दी के दौरान दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन कार्य योजना है।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ तथा 401 से 500 के बीच को ‘गंभीर’ माना जाता है।
जीआरएपी के पहले चरण के तहत पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया जाता है।
योजना के तहत एक्यूआई के 200 अंक के पार करने के बाद भोजनालयों, रेस्तरां और होटलों में कोयले तथा लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का भी आदेश दिया जाता है।