आईआरसीटीसी घोटाले में कोर्ट ने लालू यादव को समन भेजने पर फैसला सुरक्षित रखा
आईआरसीटीसी होटल टेंडर घोटाला मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य को बतौर आरोपी समन भेज जाने वाले आदेश पर 30 जुलाई तक फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सीबीआई ने साल 2006 के होटल टेंडर मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया था। रेलवे के होटलों से जुड़ा यह कथित घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए हुआ था। इस मामले में सीबीआई लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ 16 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। इससे पहले 25 जुलाई को सीवीसी ने सीबीआई को इस मामले में रेलवे के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे।
यह है पूरा मामला
आइआरसीटीसी के दो होटलों की नीलामी में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले को लेकर सीबीआई ने लालू समेत कई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस सिलसिले में उनके 12 ठिकानों पर छापे मारे गए थे। आरोप है कि लालू यादव जब रेल मंत्री थे, तब रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल को आईआरटीसीटीसी को दे दिया गया था। इन्हें रखरखाव और सुधार करने के लिए लीज पर देने की योजना थी। इसके लिए विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को ठेके दिए गए। इस प्रक्रिया में हेर-फेर किया गया था। यह प्रक्रिया आईआरसीटीसी के उस समय के महानिदेशक पी के गोयल ने पूरी की।
फरवरी 2005 को कोचर ने पटना के बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपये में बेच दी, जबकि उसका बाजार मूल्य 1.93 करोड़ रुपये था। इसे कृषि भूमि बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया।
बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू के परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख में दी गई जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और बाजार मूल्य 94 करोड़ रुपये थी।
एफआईआर में आरोप था, कोचर ने जिस दिन डीएमसीएल के पक्ष में यह सौदा किया, उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आईआरसीटीसी को उसे बीएनआर होटल्स सौंपे जाने के अपने फैसले के बारे में बताया।