पीएम मोदी ने कहा- संघर्ष समाप्त करने के लिए एकमात्र रास्ता है बातचीत
पीटीआई के मुताबिक, पीएम मोदी ने शनिवार को कहा कि 21वीं सदी का विश्व आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से जूझ रहा है, मुझे विश्वास है कि इनका हल वार्ता और चर्चा की एशिया की सबसे पुरानी परंपरा के जरिए ही निकलेगा। उन्होंने कहा कि वह प्राचीन भारत की उस परंपरा की उपज हैं, जो जटिल मुद्दे पर बातचीत में विश्वास रखती है।
प्रधानमंत्री ने यांगून में हो रहे ‘संवाद-ग्लोबल इनीशिएटिव ऑन कॉन्फ्टिक अवॉयडेंस एंड इन्वायरमेंट कॉन्शियसनेस’ के दूसरे संस्करण के लिए वीडियो संदेश में कहा कि प्राचीन भारत का ‘तर्क शास्त्र’ का सिद्धांत बातचीत और वाद-विवाद पर आधारित है, जो संघर्ष से बचने और विचारों के आदान-प्रदान का मॉडल है। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध और भक्त प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके प्रत्येक कर्म का उद्देश्य धर्म को बनाए रखना था और इसी ने भारतीयों को प्राचीन से आधुनिक समय तक बनाए रखा है।
आगे पर्यावरण का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि मनुष्य को प्रकृति को दोहन करने वाला संसाधन भर नहीं समझना चाहिए बल्कि उससे जुड़ना और उसे सम्मान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य प्रकृति का ध्यान नहीं रखता, तो प्रकृति अपनी प्रतिक्रिया जलवायु परिवर्तन के रूप में देती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि पर्यावरण कानून और नियंत्रण, प्रकृति को बेहद कम सुरक्षा देते हैं। उन्होंने ‘सामंजस्यपूर्ण पर्यावर्णीय चेतना’ की मांग की।