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11 February 2021

महापंचायतों में जुटी भीड से बढ़ी टिकैत की लोकप्रियता, किनारा करने लगे हरियाणा के किसान नेता

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 चंडीगढ़, किसान आंदोलन के रास्ते हरियाणा की खाप पंचायतों में पैंठ बढ़ाने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकेत से प्रदेश के बड़े किसान नेता किनारा करने लगे हैं। 3 फरवरी को जींद के कंडेला में कंडेला खाप की अगुवाई में करीब 100 खाप पंचायतों की किसान महापंचायत के बाद रोहतक,भिवानी में भी राकेश टिकेट की एक हफ्ते में ही चार शहरों में किसान महापंचायतों में जुटी हजारों की भीड़ से अपनी किसानी सियासत और आंदोलन यूपी के हाथों  खिसकते देखते कई किसान नेता जहां टिकेत की किसान महापंचायतों से दूरी बनाने लगे हैं। वहीं कांग्रेस नेता टिकैट से नजदीकी बढ़ा उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश में हैं।

हरियाणा के जाट लैंड जींद,रोहतक,भिवानी के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के गढ़ कुरुक्षेत्र में टिकेत की किसान महापंचायत से चढूनी ने किनारा कर लिया। जींद के कंडेला की किसान महापंचायत में टिकेत व बलबीर सिंह राजेवाल के साथ मंच साझा करने वाले चढूनी ने अपने ही गृह क्षेत्र कुरुक्षेत्र में  टिकेत से दूरी बना ली। कुरुक्षेत्र की किसान महापंचायत मंे शामिल न होने के सवाल पर हालांकि चढूनी ने सफाई दी है कि उन्हें एक दिन पहले ही कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता मिला और पहले से तय कार्यक्रमों की वजह से वे महापंचायत में शामिल नहीं हो सके।

हरियाणा के जाट लैंड के बाद कुरुक्षेत्र में किसान महापंचायते करने वाले टिकेत की अगले एक महीने में यूपी से लगते यमुनानगर,करनाल,पानीपत,सोनीपत मंे भी महापंचायतें करने की तैयारी है। जिस तरह से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन सिंघु और टिकरी बॉर्डर से गाजीपुर बॉर्डर पर स्थानातंरित हुआ है उससे टिकेत का अगला रुख पंजाब की ओर भी हो सकता है। जो पंजाबी गायक पहले टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर जुटते थे वे अब गाजीपुर बॉर्डर पर जाने लगे हैं। दो दिन पहले ही बब्बू मान भी गाजीपुर बॉर्डर पर टिकेत की हाजिरी लगा कर आए हैं। टिकेत के साथ मंच पर बब्बू मान ने कहा कि जब तक नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक किसान डटे रहेंगे। यदि कोई किसान को मारे तो उसे खाना खिलाकर शर्मिंदा किया जाए, जिससे उसे अपने किए पर पछतावा हो। सरकार अब किसान और मजदूर के हिसाब से चलेगी। भाईचारे का संदेश देते हुए मान ने जाट और जट को भाई-भाई बताया। उन्होंने कहा कि एक आंसू ने आंदोलन की पूरी बाजी पलट दी है। किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए, अनुशासनहीनता से काम नहीं चलेगा। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को भ्रम है कि किसान गर्मी में चले जाएंगे, लेकिन यह आंदोलन अक्तूबर के बाद भी चल सकता है। इसके लिए किसान पूरी तरह तैयार हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान क्रांति पार्क का भी निर्माण किया जाएगा। इसमें भारतीय किसान यूनियन का झंडा भी लगेगा। दिल्ली की बाकी सीमाओं पर फिर से भीड़ जुटे इसके लिए किसान नेता और उनके समर्थक निकल पड़े हैं। 18 फरवरी को रेल रोकने के एलान के बाद दिल्ली की तीनों सीमाओं पर भीड़ को बढ़ाने के जतन हो रहे हैं।

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OUTLOOK 11 February, 2021
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