पुलिस एनआरआई को ऑनलाइन वोटिंग के अधिकार की ‘फेक न्यूज’ की जांच करे-चुनाव आयुक्त
चुनाव आयोग ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए यह कहा है कि वह इस बात की जांच करे कि यह "फर्जी समाचार" कहां से आया कि एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) अपना वोट अप्रैल-मई के संभावित लोकसभा चुनाव में ऑनलाइन डाल सकते हैं। आयोग ने कहा है कि पुलिस इस ‘फेक न्यूज’ मामले पर निगाह रखे और इसे फैलने न दे।
आयोग ने पुलिस को इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए कहा। चुनाव आयोग ने कहा कि उसका लोगो सोशल मीडिया पर लोगों को गुमराह करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इसकी सख्ती से जांच होनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने कहा कि इस तरह की फेक न्यूज चलाना / प्रकाशित करना (अफवाह फैलाना) आईपीसी धारा 505 का उल्लंघन है। अफवाह फैलने से रोकने और ऐसी फर्जी खबरें प्रचारित करने वालों से निपटने की जरूरत है। साथ ही, यह भी जरूरी है कि लोगों को ऐसी अफवाहों से सतर्क करने का प्रयास किया जाए।
गुरुवार को, चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा था कि इस तरह की सुविधा को अनिवासी भारतीयों तक नहीं बढ़ाया गया है।
प्रवक्ता ने कहा था, "अगर ऐसा होता है, तो उसे जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की आवश्यकता पड़ेगी, अभी ऐसा कोई संशोधन नहीं हुआ है," अब तक, प्रवासी भारतीयों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना पड़ता है। वे भारत आते हैं तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में वोटर होने का प्रमाण देना पड़ता है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, विभिन्न देशों में लगभग 3.10 करोड़ प्रवासी भारतीय रहते हैं।
चुनाव आयोग की एक विशेषज्ञ समिति ने अनिवासी भारतीयों को ई-वोट का अधिकार न देने की बात कही थी, लेकिन प्रॉक्सी वोटिंग को मंजूरी दे दी थी।
अप्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग अधिकार देने का एक विधेयक हाल ही में लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन वह राज्याों में अभी लंबित है।