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10 October 2021

बिजली संकटः डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा- गैर-जिम्मेदाराना है केंद्र का रवैया, हर समस्या से आंखें मूंद लेने की नीति खतरनाक

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केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने रविवार को कहा कि कोई कोयला संकट नहीं है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र नहीं लिखना चाहिए था। इस पर दिल्ली डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह दुखद है कि एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने इस तरह का गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया है। उन्होंने कहा कि संकट पर केंद्र सरकार आंख बंद कर लेती है। उसकी यह नीति देश के लिए घातर साबित हो सकती है। अगर किल्लत है तो सरकार स्वीकार करे।

मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "केंद्र सरकार आज जिस मोड पर पहुंच गई है, इससे ऐसा लगता है कि बीजेपी से केंद्र सरकार नहीं चल पा रही है।" उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले आक्सीजन की कमी हुई थी। केंद्र सरकार मानने को तैयार नहीं थी कि देश में आक्सीजन की कमी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कोयला संकट पर गलत जानकारी दी। इससे साफ पता चलता है कि केंद्र सरकार संकट से ''भागने'' का बहाना बना रही है. उन्होंने कहा, "जैसे ऑक्सीजन संकट में लोग मरे थे, वैसे यहां भी त्राही त्राही मचेगी।"

सिसोदिया ने कहा, "पूरे देश से आवाज़ उठ रही है कि ये कोयला संकट है और ये कोयला संकट अंत में बिजली संकट में तब्दील हो सकता है जिसका बहुत बड़ा संकट देश को झेलना होगा। देश का सिस्टम ठप हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कई मुख्यमंत्रियों ने चिठ्ठी लिखी। दिल्ली, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पंजाब की सरकारों ने कहा है कि कोयला संकट है लेकिन केंद्र सरकार मानने को तैयार नहीं है।

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उन्होंने कहा कि अगर अगर कोयला संकट है तो कम से कम स्वीकार तो कीजिए। उन्होंने कहा कि ये केवल कोयले की किल्लत भर नहीं है। इसका असर बिजली, सप्लाई, इंडस्ट्री, आईटी हर जगह पड़ेगा। केंद्र सरकार देश को गड्ढे में डालना चाहती है। देश को एकदम ठप्प कर देना चाहती है।

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TAGS: Electricity crisis, बिजली संकट, Manish Sisodia, मनीष सिसोदिया, Center policy, BJP, AAP
OUTLOOK 10 October, 2021
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