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03 September 2018

भीमा कोरेगांव मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस की प्रेस कांफ्रेस पर उठाए सवाल

File Photo

भीमा कोरेगांव मामले में एक प्रेस कांफ्रेस करके तीन दिन पहले पुणे पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया था लेकिन मुंबई हाई कोर्ट ने पुणे पुलिस की इस प्रेस कांफ्रेस पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि जब मामला अदालत में है तो फिर प्रेस कांफ्रेस क्यों की गई। उधर, आरोपियों के समर्थकों की ओर से मामले की जांच एनआईए से कराने की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई सात सितम्बर के लिए स्थगित कर दी है।

शुक्रवार को पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को जायज बताते हुए दावा किया था कि भीमा कोरेगांव हिंसा राज्य सरकार के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश थी और पुलिस के पास इसके पर्याप्त सबूत हैं। एडीजी महाराष्ट्र पुलिस पीबी सिंह ने कहा था कि भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने का प्लान घटना के आठ महीने पहले ही बनाया जाने लगा था। जो कागजात और अन्य चीजें बरामद की गई हैं, वो साबित करने के लिए काफी हैं कि इनका भीमा कोरेगांव हिंसा से संबंध था और एल्गर परिषद रैली भी इसका ही एक हिस्सा थी। याचिका पर सुनवाई 7 सितम्बर तक स्थगित करते हुए कोर्ट ने कहा है कि चूंकि सभी संबंधित लोगों को याचिका की प्रति नहीं मिली है जिसके चलते अभी सुनवाई नहीं हो सकती।

एनआईए से जांच कराने की याचिका पर 7 सितम्बर को होगी सुनवाई

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अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। मामले की जांच अब एनआईए से कराने की मांग को लेकर आरोपियों के समर्थकों की ओर से एक याचिका दायर की गई है। याचियों का कहना है पुणे पुलिस के बयानों से ऐसा लगता है कि वो पहले से ही मान चुके हैं कि वरवरा राव, सुधा भारद्वाज और तीन आरोपी दोषी हैं। पुणे पुलिस के बयानों में विरोधाभास है। सच को सामने के लिए ये जरूरी है कि इस मामले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) करे। 

घरों में नजरबंद हैं सामाजिक कार्यकर्ता

हाल ही में पुलिस ने 5 वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया था जिसमें वामपंथी विचारक वरवरा राव, पत्रकार गौतम नवलखा, एक्टिविस्ट और वकील सुधा भारद्वाज, एक्टिविस्ट वेरनन गोंजालविस और कार्टूनिस्ट अरुण फरेरा शामिल हैं। हालाकि सुप्रीम कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों के ट्रांजिट रिमांड पर रोक लगाई है तथा वह अपने घरों पर नजरबंद हैं।

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TAGS: Elgar parishad, Bombay HC, raised question, Maharashtra police, PC, sub-judice
OUTLOOK 03 September, 2018
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