पीएम की सिफारिश के बाद भी बढ़ई को नहीं मिला बैंक से लोन
उत्तर प्रदेश के कानपुर के बढ़ई संदीप सोनी ने साढ़े तीन साल की मेहनत के बाद लकड़ी की शीट के 32 पन्नों पर श्रीमदभागवत गीता के 18 अध्याय और 706 श्लोक लिखे थे जिसे उसने दिल्ली में 8 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाया था। प्रधानमंत्री ने संदीप की तारीफ करने के साथ ही ट्विटर पर उसके साथ अपना फोटो भी डाला था। प्रधानमंत्री से संदीप ने कहा था कि वह अपने इस काम को कौशल विकास योजना के तहत बढ़ाना चाहता है और एक छोटा सा कारखाना खोलकर बेरोजगार युवाओं का कौशल विकास करना चाहता है। जिस पर पीएम मोदी ने उसे मदद का आश्वासन दिया और पीएमओ में एक अधिकारी से मिलने भेजा जिसने उसकी सारी योजना को समझा और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उसकी मदद का आश्वासन दिया। उसके बाद कानपुर के बर्रा इलाके में रहने वाले संदीप को वहां के राष्ट्रीय लघु उदयोग निगम (एनएसआईसी) के एक अधिकारी ने बुलाया और उसकी योजना का एक प्रोजेक्ट बनवाया। प्रोजेक्ट का खर्च करीब 25 लाख रूपये था। जिसे एनसआईसी के अधिकारी राकेश केसरवानी ने जिला उदयोग केंद्र कानपुर (डिस्टिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर) को भेजा जहां मई माह में उपायुक्त अनिल कुमार ने उसे बैंक ऑफ बड़ौदा भेज दिया।
परेशानी का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ। संदीप के अनुसार बैंक ने पहले उससे जहां उदयोग लगाना चाहता है वहां का 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवा कर लाने को कहा। उसे जमा करने के दस दिन बाद जब वह बैंक गया तो उससे पांच साल का रेंट एग्रीमेंट बनवाने और पांच किलोवाट का बिजली का कनेक्शन लेने को कहा गया। बेरोजगार संदीप ने किसी तरह यह शर्त भी पूरी कर दी और मई महीने से नौ हजार रूपये महीने किराया भी देने लगा। इसके बाद 14 जुलाई 2016 को बैंक ऑफ बड़ौदा ने 25 लाख रूपये का ऋण तो स्वीकृत कर दिया लेकिन वह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत नहीं बल्कि सामान्य ऋण था। संदीप जब उस लोन का कागज लेकर एनएसआईसी अधिकारियों के पास गया तो उन्होंने कहा कि यह तो सामान्य लोन है जिसमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत मिलने वाली सब्सिडी उसे नही मिलेगी। यह सुन संदीप के होश उड़ गए और तब से वह बैंक के चक्कर काट रहा है जहां उसे रोज कल आओ कहकर टरकाया आ रहे है। हताश और निराश संदीप ने कहा, प्रधानमंत्री ने तो मेरी मदद की और पीएमओ के अधिकारियों ने कानपुर के अधिकारियों को मेरे काम के लिए चिट्ठी भी लिखी लेकिन यहां बैंक और अन्य विभागों के अधिकारी पिछले चार माह से मुझे दौड़ा रहे हैं और मैं उधार पैसे लेकर उनके बताए कागज बनवा रहा हूं और उसके बाद भी मुझे अब तक एक भी पैसा नही दिया गया।