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21 February 2018

इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व डीजीपी हुए आरोपों से डिस्चार्ज

File Photo

अहमदाबाद की एक सीबीआई अदालत ने इशरत जहां मुठभेड़  मामले में गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे को सबूतों के अभाव में आरोपों से डिस्चार्ज कर दिया है। पांडे मामले में डिस्चार्ज होने वाले पहले आरोपी हैं। 

गौरतलब है कि पीपी पांडे पर अन्य पूर्व पुलिस अधिकारियों के साथ केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा इशरत जहां मामले में साजिश, अवैध रूप से कारावास और हत्या के आरोप थे।  अदालत ने यह भी कहा कि पांडे सरकारी सेवक थे लेकिन सीआरपीसी की धारा 197  के अनुसार, उनके विरुद्ध आरोपपत्र दायर करने से पहले जांच अधिकारी ने सरकार से उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं ली।  सीबीआई ने 2013  में अपना पहला आरोपपत्र दायर कर आईपीएस अधिकारी पी पी पांडे, डी जी वंजारा और जी एल सिंहल समेत गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों पर नामजद किया था और उन पर अपहरण, हत्या एवं साजिश का आरोप लगाया था।   

सीबीआई ने पूरक आरोप पत्र में आईबी के विशेष निदेशक राजिंदर कुमार और अधिकारी एम एस सिन्हा समेत उसके चार अधिकारियों को नामित किया था,  इस पर केंद्र की मंजूरी का अब भी इंतजार है।  गुजरात हाईकोर्ट की गठित एसआईटी ने जांच में पाया कि यह मुठभेड़ फर्जी था. इसके बाद कोर्ट ने जांच के लिए इस केस को सीबीआई को सौंप दिया था।

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15 फरवरी 2015 में मिली जमानत से पहले उन्होंने 19 महीने जेल में बिताए हैं। अहमदाबाद अपराध शाखा के अधिकारियों ने 15 जून 2004 को शहर के बाहरी इलाके में महाराष्ट्र के मुम्बई की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, उसके दोस्त जावेद शेख उर्फ प्रणेश, जीशान जोहर और अमजद राणा को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। गुजरात पुलिस ने तब कहा था कि मारे गए लोग लश्कर के आतंकी थे और वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे। पीपी पांडे अभी जमानत पर बाहर हैं।  उन्होंने डिस्चार्ज की याचिका दाखिल की थी।  उन्होंने पुलिस बल में अपनी बहाली और पुलिस महानिदेशक के रूप में पदोन्नति के लिए भी कहा था। उन्होंने अपनी याचिका में बहस के दौरान यह तर्क दिया था कि उनके खिलाफ दो गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं । 

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TAGS: EX DGP, Gujrat, CBI, israt jahan, discharge, पूर्व डीजीपी गुजरात, डिस्चार्ज, सीबीआई
OUTLOOK 21 February, 2018
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