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10 November 2018

शक्तियों का जरूरत से ज्यादा केंद्रीकृत होना देश की मुख्य समस्याः रघुराम राजन

File Photo

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में राजनैतिक फैसले लेने में शक्तियों का जरूरत से ज्यादा केंद्रीयकृत होना मुख्य समस्या है। इस बारे में उन्होंने हाल में गुजरात में लगाई गई सरदार पटेल की मूर्ति ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ प्रोजेक्ट का उदाहरण भी दिया, जिसके लिए प्रधानमंत्री दफ्तर से मंजूरी लेने की जरूरत पड़ी।

बर्कले में शुक्रवार को कैलिफॉर्निया विश्वविद्यालय में पूर्व गवर्नर ने कहा कि देश में यह भी समस्या का हिस्सा है कि राजनैतिक फैसलों में जरूरत से ज्यादा शक्तियों का केंद्रीयकरण है।

पीएमओ की मंजूरी  के बिना नहीं होता फैसला

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राजन ने कहा कि देश में केवल एक केंद्र से काम नहीं किया जा सकता। सभी लोग मिलकर बोझ उठाएं तभी देश में काम होता है लेकिन आज देश में केंद्र सरकार के पास जरूरत से ज्यादा शक्तियां हैं। मसलन कई सारे फैसले लेने के लिए प्रधानमंत्री दफ्तर की सहमति लेनी होती है। जब तक पीएमओ से सहमति नहीं मिल जाती तब कोई फैसला नहीं ले पाता। इसका मतलब साफ ह कि अगर पीएम 18 घंटे काम भी करें तो भी उनके पास उतना ही समय है। इसके अलावा उन्होंने नौकरशाही की बेरूखी को भी बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा कि देश में  भ्रष्टाचार के घोटाले उजागर होने के बाद  नौकरशाही ने अपने कदम पीछे खींच लिए।

नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था पर पड़ा असर

पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश में नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के फैसले से देश की  आर्थिक विकास दर में गिरावट आई है। राजन ने कहा कि मौजूदा 7 प्रतिशत विकास दर देश के जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से पहले 2012 से 2016 तक देश की विकास दर की रफ्तार काफी तेज रही। 

भोपाल में 1963 में पैदा हुए पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सितम्बर 2013 से सितम्बर 2016 के बीच आरबीआई के 23वें गवर्नर रहे हैं।

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TAGS: Excessive, centralisation, power, India, main, problems, Raghuram Rajan
OUTLOOK 10 November, 2018
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