आबकारी नीति मामलाः मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ी, एजेंसी ने कहा- जांच "महत्वपूर्ण" चरण में
दिल्ली की एक अदालत ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ दी है। अब जमानत याचिका पर शुक्रवार को अदालत अपना आदेश सुना सकती है।
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने सिसोदिया की उस याचिका पर दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसमें दावा किया गया था कि जांच के लिए उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है। वहीं, सीबीआई ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इस पर सिसोदिया की ओर से कहा गया कि अब तक हमें चार्जशीट की नकल प्रति नहीं मिली है। हमारा अधिकार है कि हमको उसकी कॉपी मिले।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आवेदन का विरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि जांच "महत्वपूर्ण" चरण में थी और आप के वरिष्ठ नेता ने यह दिखाने के लिए मनगढ़ंत ई-मेल लगाए थे कि नीति के लिए सार्वजनिक स्वीकृति थी। संघीय एजेंसी ने यह भी कहा था कि उसे कथित अपराध में उसकी मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं।
अदालत ने 31 मार्च को भ्रष्टाचार के एक मामले में सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है, यह कहते हुए कि वह लगभग 90 रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान के पीछे आपराधिक साजिश में "प्रथम दृष्टया वास्तुकार" थे। -100 करोड़ उनके और दिल्ली सरकार में उनके सहयोगियों के लिए थे। अदालत ने कहा था कि फिलहाल सिसोदिया की रिहाई "जांच पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी"।
सीबीआई और ईडी ने सिसोदिया को अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और इससे उत्पन्न धन को वैध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।