टूलकिट मामले पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर- कई खुलासे हुए, ज्यादा जानकारी के लिए इंतजार करना होगा
स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग द्वारा साझा टूलकिट को लेकर दिल्ली पुलिस के खालिस्तानी लिंक के दावे के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि टूलकिट मामले से कई खुलासे हुए हैं। हमें इंतजार करके देखना होगा कि अभी और क्या सामने आएगा। उन्होंने इस मामले में कुछ हस्तियों की टिप्पणी को गैर जिम्मेदाराना और अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस बारे में फिजूल की टिप्पणियां कर रहे हैं। जबकि उनका किसानों के आंदोलन या किसान संगठनों से कोई नाता नहीं है। यहां तक कि ऐसे लोग ये भी नहीं जानते कि वे जिस बारे में बोल रहे हैं आखिर वह मामला क्या है।
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार, राजनीति और सरकार और किसान समूहों के गतिरोध को हल करने के प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले, हम आग्रह करेंगे कि तथ्यों का पता लगाएं और मुद्दों को पहले उचित ढंग से समझा जाए। सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों खासकर जो मशहूर हस्तियों और अन्य लोगों द्वारा पोस्ट किया गया हो के प्रभाव में ना आएं। क्योंकि वह न तो सटीक है और न ही जिम्मेदार।
बुधवार को स्वीडन की क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन के लिए एक ‘टूलकिट’ (गूगल डॉक्युमेंट) ट्विटर पर शेयर किया था, हालांकि बाद में उन्होंने वो ट्वीट ‘पुराना टूलकिट’ बताते हुए डिलीट कर लिया था। बाद में ग्रेटा ने अपडेटेड टूलकिट भी ट्वीट किया। यह दस्तावेज गूगल डॉक के जरिए अपलोड किया गया और बाद में ट्विटर पर साझा किया गया. दिल्ली पुलिस अब उस टूलकिट को लेकर जांच कर रही है।
पुलिस ने कहा कि ट्रैक्टर की रैली के दौरान 26 जनवरी की हिंसा सहित किसान विरोध प्रदर्शन में घटनाओं का क्रम टूलकिट में साझा की गई कथित कार्य योजना की "नकल" थी। विशेष सीपी (अपराध शाखा) प्रवीर रंजन ने कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि प्रश्नोत्तर में टूलकिट "खालिस्तानी संगठन" पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन द्वारा बनाई गई थी।
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को गूगल को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में गूगल से टूलकिट अपलोड करने से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है। पुलिस गूगल से जानना चाहा है कि यह टूलकिट किसने बनाई और किस कंप्यूटर से सबसे पहले सोशल मीडिया पर अपलोड हुई है। पुलिस ने टूलकिट मामले में एफआईआर भी दर्ज कर ली है। हालांकि इसमें किसी का नाम नहीं लिखा गया है, बल्कि अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त परवीर रंजन ने बताया कि उन्होंने ऐसे 300 अकाउंट की पहचान की है जो भारत सरकार के प्रति असंतोष और दुष्प्रचार फैलाना चाहते हैं।