मशहूर साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' का निधन, लोकसभा अध्यक्ष ने श्रद्धांजलि दी
जैन ग्रंथों, वेदों और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब पर अपने लेखन के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए विख्यात प्रतिष्ठित विद्वान और साहित्यकार बशीर अहमद मयूख का निधन हो गया है। वह 99 वर्ष के थे।
उनके बेटे फिरोज खान मयूख के अनुसार, रविवार सुबह उन्हें लकवा का दौरा पड़ा और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उनके मस्तिष्क में खून के बड़े थक्के का पता लगाया और उनके बचने की कम संभावना की चेतावनी दी। उन्हें बचाने के तमाम प्रयासों के बावजूद, अपराह्न 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं।
मयूख की आखिरी किताब 'शब्दरागी मयूख' थी। उन्होंने कुल आठ पुस्तकें लिखीं। उनका जन्म 16 अक्टूबर 1926 को चिपाबरौद (अब बारां) जिला में हुआ था। उन्हें कई साहित्यिक सम्मान मिले, जिनमें अंतिम बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया 'विश्व हिंदी सम्मान' शामिल है। हालांकि उन्होंने ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था के तहत केवल मिडिल तक ही पढ़ाई की थी, लेकिन उन्होंने स्व-अध्ययन के बल पर साहित्य में अपना अलग स्थान बनाया।