लखनऊ की ठंडई के मुरीद थे अटल, शाम को कार्यकर्ताओं संग खेलते थे कबड्डी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का यूं जाना हर किसी को अखर रहा है। जो भी कभी उनके संपर्क में आया था, वह उनके साथ बिताए संस्मरणों को याद कर डबडबाई आंखों और रुंधे गले से किस्सों को बयां कर रहा है। अटल जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि विरोधी भी उनके कायल थे। उत्तर प्रदेश का ऐसा कोई जिला नहीं, जहां अटल जी का जाना नहीं हुआ। उनकी सरलता, सहजता और विनोदी स्वभाव लोगों के जेहन में तरो-ताजा है।
अटल जी की कर्मभूमि उत्तर प्रदेश रहा। उनके दादा आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे। अटल जी ने एमए की शिक्षा डीएवी कॉलेज कानपुर में ग्रहण की थी। 1957 में बलरामपुर से विजयी होकर वह पहली बार लोकसभा में पहुंचे थे। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोकसभा में लखनऊ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदेश और अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए अविस्मरणीय कार्य किए थे। अटल जी लोकसभा के लिए लखनऊ से पांच बार सांसद रहे। अटल जी ने ही शहीद पथ, साइंटिफिक कन्वेशन सेंटर, लखनऊ की ज्यादातर सड़कों का चौड़ीकरण, गोमतीनगर विस्तार की योजना को मूर्त रूप दिया था। साथ ही गोमती नदी की सफाई के लिए पहली बार पोकलैंड मशीन का प्रयोग किया गया था। लखनऊ और कानपुर की लाईफ लाइन कही जाने वाले लोकल ट्रेन की शुरूआत भी अटल जी के जमाने में हुई थी, जिसमें आज हजारों यात्री रोजाना यात्रा करते हैं।
राजनीति में आने से पहले अटल जी पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय थे। उन्होंने ‘राष्ट्रधर्म’, ‘पांचजन्य’और ‘वीर अर्जुन’आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने सुनाया कुर्ते-पायजामे का किस्सा
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने मर्माहत होकर बताया, 'वह पहली बार मेयर का चुनाव लड़ रहे थे। अटल जी की तबीयत ठीक नहीं थी। इसके बावजूद वह आए। उन्होंने जनसभा में कहा कि आपने मुझे कुर्ता पहना दिया है और मेरा पायजामा दिनेश शर्मा है। (अटल जी अमूमन धोती पहनते थे और उस दिन पजामा पहन कर जनसभा में आए थे) यह भी मुझे चाहिए। लोगों ने तालियां बजाईं और मैं जहां भी जाता था, लोग मुझे अटल जी का पायजामा कहते थे।'
‘मैं झूले में बैठा हूं या गाड़ी में’
महाराजगंज जिले के सांसद पंकज चौधरी कहते हैं कि अटल जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि वह सभी को पारिवारिक सदस्य समझते थे। 1999 में जब वह महराजगंज जिले में जनसभा में आए थे, तो उन्होंने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि फील्ड छोटी हो गई या लोग ज्यादा आ गए। जनसभा में उन्होंने क्षेत्र में खराब सड़कों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं आ रहा था तो स्मरण नहीं हो रहा था कि ‘मैं झूले में बैठा हूं या गाड़ी में’।
कार्यकर्ताओं संग खेलते थे कबड्डी
भाजपा के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित कहते हैं कि 1974 में तत्कालीन बहुगुणा सरकार के खिलाफ अटल जी के साथ हमने विधानसभा के सामने प्रदर्शन किया था। इसमें करीब चार सौ लोग थे और हमारा चालान कर नैनी जेल में 11 दिन के लिए बंद कर दिया गया था। जेल में अटल जी पांच बजे उठ जाते थे और सभी बैरकों में लोगों का हाल चाल लेते थे। शाम को कार्यकर्ताओं के साथ कबड्डी खेलते थे।
'भगोले कहीं भाग तो नहीं जाएंगे'
अटल जी के साथ बिताए संस्मरणों को बयां करते हुए उनकी आंखें डबडबा जाती हैं और गला भी रुंध जाता है। थोड़ा और कुरेदने पर वह कहते हैं कि अटल जी बहुत विनोदी स्वभाव के थे। वह कहते हैं कि उन्नाव में भगवंत नगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव था। उन्होंने अटल जी के साथ इलाहाबाद से अर्मदा जीप से उन्नाव तक का सफर किया। रास्ते में खूब हास-परिहास हुआ। उन्नाव पहुंचने पर गाड़ी से उतरने के बाद अटल जी ने कहा कि तख्त पर बैठाकर यहां लाए। इसके बाद सभी हंसने लगे। भारत दीक्षित ने उन्नाव में जनसभा में प्रत्याशी का परिचय कराते हुए कहा कि यह श्रीशुक्ल उर्फ भगोले हैं। इस पर अटल जी ने कहा कि ‘भाग तो नहीं जाएंगे’। अटल जी लखनऊ से जब आखिरी बार सांसद चुने गए थे तो संघ के वीरेश्वर जी के नेतृत्व में भारत दीक्षित चुनावी सभाओं का संचालन करते थे।
भारत दीक्षित कहते हैं कि अटल जी जैसा अनुभवी और कार्यकर्ताओं की चिंता करने वाला व्यक्ति शायद अब नहीं मिलेगा। वह 80 फीसदी कार्यकर्ताओं के नाम, घर और परिवार से परिचित थे। नाम से पुकारने पर कार्यकर्ता बड़ा रोमांचित होता था। हमने कभी मिलने और बात करने में यह अनुभव नहीं किया वह प्रधानमंत्री हैं। हमेशा एक जैसा व्यवहार। ना कोई दिखावा और ना ही आडंबर।
कानपुर में अटल जी बोले- मेरी क्या जरूरत, मैं तो चला
कानपुर में एक सभा में नारा लगाया गया कि ‘देश का नेता कैसा हो, अटल जी जैसा हो’ तो विनोदी स्वभाव के कारण उन्होंने कहा कि अटल जी जैसे व्यक्तित्व से काम चल जाएगा तो हमारी क्या जरूरत। मैं तो चला। इस पर लोग हंस पड़े और कहे कि आपकी ही जरूरत है।
'देश का प्रधानमंत्री हवा में है और मैं जमीन पर'
फतेहपुर में एक चुनावी जनसभा थी। उस समय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे और दोनों नेताओं की जनसभा एक ही दिन थी। अटल जी सड़क मार्ग से फतेहपुर पहुंचे थे और प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से। इस पर जनसभा में अटल जी ने प्रधानमंत्री पर तंज किया कि देश का प्रधानमंत्री हवा में है और मैं जमीन पर। उन्होंने जनसभा में उपस्थित लोगों से कहा कि आप हम दोनों से होशियार हैं। एक टिकट पर दो शो देखने आए हैं। इस पर लोग हंस पड़े।
लखनऊ की ठंडई के थे मुरीद
लखनऊ में एक ऐसी ठंडई की दुकान है, जो अटल जी के नाम से ही जानी जाती है। पुराने लखनऊ में राजा ठंडई के बारे में लोग कहते हैं कि अटल जी जब लखनऊ रहते थे, वहां जरूर जाते थे। वहां की ठण्डाई उन्हें इतनी पसंद थी कि लखनऊ आने के बाद वह वहां ज़रूर जाते थे। राजा ठंडई के बड़े बेटे गुड्डू ने बताया कि वो यहां की ठंडई के मुरीद थे।