केंद्र सरकार के अधिकारी ने कहा- राज्यों के पास नागरिकता कानून रोकने का अधिकार नहीं
ममता बनर्जी समेत पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से इनकार किया है। वहीं, केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि राज्यों के पास इसे लागू करने से रोकने की कोई शक्ति नहीं है क्योंकि नागरिकता का मुद्दा संविधान की 7 वीं अनुसूची के तहत संघ सूची में आता है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने घोषणा की थी कि कानून "असंवैधानिक" है और वह अपने राज्यों में इसे लागू नहीं होने देंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, ‘‘हम कभी भी नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता कानून को बंगाल में अनुमति नहीं देंगे। हम नागरिकता कानून में संशोधन को लागू नहीं करेंगे, बेशक इसे संसद ने पारित किया है। भाजपा राज्यों को इसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।’’
असंवैधानिक कानून के लिए कोई जगह नहीं
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नागरिकता कानून पर कहा था, ''कोई भी ऐसा कानून जो समाज को बांटता है। उस पर कांग्रेस का जो रुख होगा वही रुख मध्यप्रदेश सरकार अपनाएगी।" केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, “केरल में इस तरह के असंवैधानिक कानून के लिए कोई जगह नहीं है। राज्य में इस तरह का कानून लागू नहीं किया जाएगा। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि सिटीजन बिल संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है। उनकी सरकार इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी।
राज्यों के पास नहीं है शक्तियां
राज्यों के लागू न करने के बयान पर गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, "राज्यों के पास संघ सूची में केंद्रीय कानून के अमल से इनकार करने की कोई शक्तियां नहीं हैं।"
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि इसके लिए उन्हें यह साबित करना पड़ेगा कि इन देशों में उन्हें धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया गया है। संसद के दोनों सदनों में इससे संबंधित विधेयक पारित होने के बाद गुरुवार की रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी दे दी।