जम्मू-कश्मीर में पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी सीटें, बन रहा है ये नया प्लान
परिसीमन को लेकर जम्मू कश्मीर में तैयारियां जोरों पर चल रही है। परिसीमन आयोग के सदस्य इस वक्त भी जम्मू-कश्मीर में ही हैं। इन सब के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने परिसीमन को लेकर बड़ी बातें कहीं हैं। सुशील चंद्रा ने साफ तौर पर कहा कि पहली बार जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों के लिए भी सीटों को आरक्षित किया जाएगा।
एक प्रेस वार्ता में सुशील चंद्रा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सभी अधिकारियों से हमने मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि पहला पूर्ण परिसीमन आयोग 1981 में गठित किया गया था जो 1995 में 14 साल बाद अपनी सिफारिश को प्रस्तुत किया। यह 1981 की जनगणना पर आधारित था। उसके बाद, कोई परिसीमन नहीं हुआ। 1995 में, 12 जिले थे। यह संख्या अब 20 हो गई है। तहसीलों की संख्या 58 से बढ़कर 270 हो गई है। 12 जिलों में निर्वाचन क्षेत्र की सीमा जिले की सीमा से अधिक है।
सुशील चंद्रा ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों में जिलों के साथ-साथ तहसीलों का ओवरलैपिंग है। ऐसे में जनता को असुविधा का सामना करना पड़ता है। सभी मांगों और सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए एक मसौदा तैयार किया जाएगा और उनकी टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा। सभी टिप्पणियों को देखने के बाद, अंतिम मसौदा (परिसीमन अभ्यास पर) तैयार किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशील चंद्रा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम मार्च 2022 तक परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे। हम इस वक्त 2011 की जनसंख्या के अनुसार, परिसीमन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। सुशील चंद्रा के मुताबिक, परिसीमन एक कठिन प्रक्रिया है, लेकिन ये बेहद जरूरी है, हमें जम्मू-कश्मीर में सात नई सीटें जोड़नी हैं, साथ ही एसटी के लिए भी सीटों को आरक्षित करना है। इनके अलावा 24 सीटें पीओके के लिए अलग रहेंगी।
सुशील चंद्रा ने बताया कि हमने जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात की है। हमने उनसे परिसीमन आयोग के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने की मांग की है। परिसीमन आयोग के प्रमुख रिटायर्ड जस्टिस आर. देसाई ने इस प्रेस वार्ता में कहा कि सभी पक्षों की ओर से हमें बेहतरीन सहयोग मिला, हम बार-बार जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे।