हाइफा मुक्ति दिवस पर पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा- ऑटोमन साम्राज्य के सैनिकों को हराकर देश के सैनिकों ने छोड़ी थी बहादुरी की छाप
केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने गुरुवार को हाइफा मुक्ति दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के तीन मूर्ति-हाइफा चौक पर बहादुर सैनिकों को नमन किया और श्रद्धांजलि दी। उऩ्होंने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध की लड़ाई के दौरान साधारण और परंपरागत हथियारों के बल पर भारत के बहादुर जवानों ने आधुनिक हथियारों से लैस ऑटोमन साम्राज्य के सैनिकों को हरा कर दुनियाभर में अपनी बहादुरी की छाप छोड़ी थी।
तीन मूर्ति-हाइफा चौक के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यहां लगी तीन मूर्तियां जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद के सैनिकों का प्रतीक हैं। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि हमें तीन मूर्ति-हाइफा चौक को एक तीर्थ की तरह मानना चाहिए और हर व्यक्ति को यहां आकर नमन करना चाहिए।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि यह भारतीय सैनिकों के शौर्य को स्मरण करने का अवसर है। यह स्थान देशवासियों को प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि जिस पराक्रम के साथ भारतीय सैनिकों ने हाइफा को जीता था, वह पराक्रम आज भी देश के जवानों में मौजूद है।
आज से 103 वर्ष पूर्व 23 सितंबर 1918 को भारत के तीन रेजीमेंट- जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद लांसर्स के जवानों ने तुर्की साम्राज्य के सैनियों को हरा कर हाइफा की लड़ाई जीती थी और इस शहर को इजरायल को सौंप दिया था। इस लड़ाई में 900 से ज्यादा भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन सैनिकों की याद में इजरायल के हाइफा में भी स्मारक बनाया गया है और इजरायल आज भी उन भारतीय सैनिकों की बहादुरी को याद करता है। हाइफा की उसी लड़ाई की याद में संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार हर साल 23 सितंबर को 'शौर्य और बलिदान दिवस' के नाम से इस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।