अरुण शौरी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, सर्जिकल स्ट्राइक को बताया फर्जिकल स्ट्राइक
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की कश्मीर पर किताब और उनके बयानों को लेकर भाजपा कांग्रेस पर निशाना साध रही है लेकिन अब भाजपा को उसके ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने आड़े हाथों लिया है। अरुण शौरी ने सोज की किताब के विमोचन के मौके पर सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते हुए उसे 'फर्जिकल स्ट्राइक' ठहराया और सरकार पर चुनाव जीतने के लिए हिंदू-मुस्लिम में बांटने का आरोप लगाया।
सोज के बयानों से किनारा करने के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं डा. मनमोहन सिंह, पी.चिदंबरम और गुलाम नबी आजाद ने कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया। हालांकि कांग्रेस के एकमात्र नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश वहां पहुंचे।
शौरी ने कहा कि सरकार के पास कश्मीर,पाकिस्तान, चीन और बैंकों के लिए कोई नीति नहीं है। उन्होंने चुटकी ली कि खान साहब ने कहा देसी घी का खाना बना है तो हम पहुंच गए। शौरी ने कांग्रेस नेताओं के कार्यक्रम में न पहुंचने पर तंज कसा कि अमित शाह के कहने पर आप डर गए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सबका साथ सबका विकास नहीं कर पाई इसलिए हिंदू-मुसलमान में बांटा जा रहा है। सरकार इवेंट ओरियेंटेड और चुनाव ओरियेंटेड है। एक चुनाव इसलिए जीता जाता है ताकि दूसरा चुनाव जीता जा सके।
शौरी ने कश्मीर समस्या के समाधान पर सोज से भी अपील की कि पुरानी बातों और पीछे किसने क्या किया क्या कहा इसे भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कश्मीर और नार्थ-ईस्ट की समस्या को लगभग एक जैसा बताते हुए कहा कि सरकार सीधे संपर्क न करके सब-कांट्रैक्ट करती है जो उचित नहीं है क्योंकि सरकार जो रकम भेजती है, पहले दिल्ली के अधिकारी और फिर कश्मीर के अधिकारी राजनेता हिस्सा बांट लेते हैं, इस लिहाज से स्वायत्तता ठीक नहीं है।
किताब के विमोचन पर कश्मीर पर विवादित बयान का ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया और बयान से किनारा करते दिखे। उन्होंने कहा कि कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हो सकता है और आजादी भी संभव नहीं है। परवेज मुशर्रफ के समर्थन पर उन्होंने साफ किया मैं उनका प्रतिनिधि नहीं हूं। उन्होंने कहा कि सरकार को विपक्ष आदि को कश्मीर के लोगों के बीच जाना चाहिए और संविधान के तहत बातचीत हो। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने भी अपने विचार रखे।