श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने की मनमोहन सिंह और राहुल गांधी से मुलाकात
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा कांग्रेस नेता आनंद शर्मा से मुलाकात की। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के संबंधों पर बातचीत हुई।
राजपक्षे इन दिनों भारत दौरे पर हैं। बुधवार को उन्होंने भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के नेतृत्व वाले ‘विराट हिन्दुस्तान संगम’ द्वारा ‘इंडो-श्रीलंका रिलेशंस: द वे फारवर्ड’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था। इस कार्यक्रम में राजपक्षे ने कहा कि वर्ष 2009 में लिट्टे के खिलाफ खत्म हुई जंग को ‘जातीय युद्ध’ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि सैन्य कार्रवाई में तमिल समुदाय को निशाना नहीं बनाया गया।
राष्ट्रपति कोविंद से राष्ट्रपति भवन में की थी मुलाकात
इससे पहले श्रीलंका संसद के अध्यक्ष करु जयसूर्या और एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन पहुंचकर मुलाकात की थी। श्रीलंका की और से श्रीलंका संसद के अध्यक्ष करू जयसूर्या ने मल्टी पार्टी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे।
वहीं, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भी दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इससे पहले राजीव गांधी हत्या मामले में सभी 7 अभियुक्तों को रिहा करने के लिए टीएन कैबिनेट की सिफारिश पर श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने टिप्पणी करने से इंकार किया था।
उन्होंने कहा कि यह तय करने के लिए भारतीय सरकार पर निर्भर है। हमने उन्हें दंडित किया है मुझे नहीं लगता कि मुझे उस पर टिप्पणी करनी चाहिए क्योंकि यह एक कानूनी मामला है। राजपक्षे ने बुधवार यानी 12 सितंबर को कहा था कि जब मैं राहुल से मिलूंगा और अगर वह मुझसे पूछते हैं, (तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव) मैं उनसे इस पर बात करुंगा।
तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक सरकार ने रविवार को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सिफारिश की कि राजीव गांधी हत्याकांड के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी सात दोषियों को रिहा कर दिया जाए। इस कदम का कांग्रेस को छोड़कर राज्य की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों ने तारीफ की थी।
गौरतलब है कि सेना और लिट्टे के बीच 2009 में समाप्त हुए तीन दशक लंबे गृहयुद्ध के दौरान राजपक्षे ही राष्ट्रपति थे।