Advertisement
29 May 2018

प्रणब मुखर्जी के RSS मुख्यालय जाने पर शुरू हुआ विवाद, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर मुख्यालय जाएंगे। वह संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष (ओटीसी) में शामिल हो रहे स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। इस खबर के बाद पार्टियों के बीच विचारधारा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कई लोगों का कहना है कि कांग्रेसी प्रणब मुखर्जी आरएसएस का निमंत्रण कैसे स्वीकार कर सकते हैं। वहीं, आरएसएस भाजपा से जुड़े लोग इसका स्वागत कर रहे हैं।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा से बचना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, 'अगर पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस के किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो इसमें दिक्कत क्या है। आरएसएस देश का एक संगठन है। देश में राजनीतिक छुआछूत नहीं होना चाहिए।‘

Advertisement

वहीं, आरएसएस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जो लोग संघ को जानते हैं उनके लिए ये आश्चर्य वाला नहीं है क्योंकि आरएसएस ने हमेशा देश के महत्वपूर्ण व्यक्तियों को अपने कार्यक्रमों में बुलाया है। इस बार हमने प्रणब मुखर्जी को बुलाया है और यह उनकी महानता है कि उन्होंने निमंत्रण स्वीकार किया।

इस पर आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने कहा, ‘पूर्व राष्ट्रपति द्वारा आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार करने से देश में यह संदेश गया है कि विभन्न मुद्दों पर डायलॉग होना चाहिए। विरोधी दुश्मन नहीं है। यह हिंदुत्व और आरएसएस पर जो सवाल उठते हैं, उनका जवाब है।‘

OTC में शामिल होंगे मुखर्जी

प्रचारक बनने की योग्यता के लिए होने वाले आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष के शिविर में शामिल होने के लिए मुखर्जी को आमंत्रण भेजा गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस शिविर को ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैम्प यानी ओटीसी भी कहते हैं। तृतीय  वर्ष प्रशिक्षण हासिल करने के बाद ही कोई स्वयंसेवक आरएसएस का प्रचारक बनने के योग्य माना जाता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Pranab mukherjee, rss, nagpur, nitin gadkari, akhilesh yadav
OUTLOOK 29 May, 2018
Advertisement