गोगोई आज ले सकते हैं राज्यसभा सदस्य की शपथ, कपिल सिब्बल ने पूछे पांच सवाल
देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से राज्यसभा के लिए नामित करने को लेकर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। हालांकि, राजनीतिक बयानबाजी के बीच रंजन गोगोई ने कहा कि वह शपथ ग्रहण के बाद बताएंगे कि राज्यसभा जाने का प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को इस मामले को लेकर सरकार से कई सवाल भी किए हैं।
पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा, ' रंजन गोगोई कृपया यह भी बताएं कि अपने ही केस में खुद निर्णय क्यों? लिफाफा बंद न्यायिक प्रणाली क्यों? चुनावी बॉन्ड का मसला क्यों नहीं लिया गया? राफेल मामले में क्यों क्लीन चिट दी गई? सीबीआई निदेशक को क्यों हटाया गया?'
आज शपथ ले सकते हैं रंजन गोगोई
इस बीच पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई आज राज्यसभा सदस्य की शपथ लेने संसद भवन आ सकते हैं और उसके बाद मीडिया से भी बातचीत करेंगे। इससे पहले मंगलवार को रंजन गोगोई ने कहा था कि मैं शपथ लेने के बाद बताऊंगा कि मैंने क्यों राज्यसभा जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया।
सिब्बल ने उठाया था विश्वसनीयता का सवाल
इससे पहले मंगलवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा था कि यही जस्टिस गोगोई ने सीजेआई रहते रिटायरमेंट के बाद पद ग्रहण करने को संस्था पर धब्बा जैसा बताया था और आज खुद ग्रहण कर रहे हैं। हमें इस मामले में कानूनी पहलू पर जाने की जगह पब्लिक परसेप्शन पर ध्यान देना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि इससे ज्यूडिशियल सिस्टम को लेकर जनता में क्या संदेश जा रहा है।
'क्यों याद किए जाते हैं जस्टिस खन्ना'
इससे पहले पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि हम आज भी जस्टिस खन्ना को क्यों याद रखते हैं? क्योंकि उन्होंने बहुमत के फैसले से असहमति जाहिर की थी। अनुच्छेद-21 के प्रति उन्होंने कहा था कि वह सस्पेंड नहीं हो सकता। फैसला बेशक कानून के नजरिए में सही हो मगर जनता के नजरिए में गलत था।
बतौर सीजेआई सुनाए थे कई अहम फैसले
रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोध्या मामले के अलावा, असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस और आरटीआई के दायरे में जैसे कई ऐतिहासिक फैसले दिए।
विवादों में भी रहा था कार्यकाल
गोगोई अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल के दौरान कई विवादों में भी रहे। उन पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप भी लगे, लेकिन उन्होंने उन्हें कभी भी अपने काम पर उसे हावी नहीं होने दिया। वह बाद में आरोपों से मुक्त भी हुए। गोगोई उन 4 जजों में भी शामिल थे, जिन्होंने रोस्टर विवाद को लेकर ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।