सीबीआई प्रमुख चुनने के लिए आज फिर होगी बैठक, अभी अंतरिम निदेशक के पास है चार्ज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली चयन समिति की आज सीबीआई के निदेशक पर फैसला करने के लिए मीटिंग होगी। फिलहाल सीबीआई के पास कोई भी प्रमुख नहीं है। पहले भी 24 जनवरी को एक बैठक हो चुकी है लेकिन उसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया था। इस समिति में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी सदस्य हैं।
गौरतलब है कि आलोक वर्मा के जाने के बाद से सीबीआई प्रमुख का पद खाली है। आलोक वर्मा 10 जनवरी को इस पद से हटाए गए थे और उनके स्थान पर नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया था। भ्रष्टाचार आरोपों को लेकर गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेस अस्थाना और वर्मा में तल्खी हुई थी दोनों ने ही एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे। अस्थाना और वर्मा दोनों को सीबीआई से हटा दिया गया था।
आलोक वर्मा पर हो सकती है कार्रवाई
आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षा विभाग का प्रमुख बनाया गया था। खबर है कि आलोक वर्मा पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने सरकार का आदेश नहीं माना था। सरकार के निर्देश का पालन न करना अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की सेवा नियमों का उल्लंघन है।
नए अधिकारियों की नियुक्ति
सीबीआई के नए प्रमुख पर फैसला के लिए उच्चाधिकार चयन समिति की बैठक के एक दिन पहले सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) में चार अधिकारियों की नियुक्ति की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी । इन अधिकारियों में असम-मेघालय कैडर से 2003 बैच के आईपीएस अखिलेश कुमार सिंह और तमिलनाडु कैडर से 2004 बैच के आईपीएस ए टी दुरई कुमार को सीबीआई में डीआईजी बनाया गया है। केरल कैडर से 2008 बैच के आईपीएस पुत्ता विमलादित्य और उत्तरप्रदेश से 2009 बैच के आईपीएस अखिलेश कुमार चौरसिया को एजेंसी में पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है।
निदेशक की जिम्मेदारी मिलने के बाद से नए प्रमुख की नियुक्ति होने तक, राव ने संयुक्त निदेशकों के स्तर से लेकर अतिरिक्त एसपी तक के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किए थे। संगठन के भीतर ही कुछ अधिकारियों ने इसकी आलोचना की थी है क्योंकि अभी पूर्ण निदेशक नियुक्त किया जाना बाकी है।
बस्सी की चनौती पर मांगा जवाब
उच्चतम न्यायालय ने आज सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव द्वारा 11 जनवरी को पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर किए गए डीएसपी ए के बस्सी की याचिक पर सीबीआई से जवाब मांगा है। बस्सी ने अपने स्थानांतरण को चुनौती दी थी।
राव ने इससे पहले 23 अक्टूबर को आलोक वर्मा के पद से हटने के तुरंत बाद 24 अक्टूबर को बस्सी को पोर्ट ब्लेयर में स्थानांतरित कर दिया था। जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हटाए जाने के बाद 10 जनवरी को वर्मा ने निदेशक का पदभार संभाला, तो उन्होंने बस्सी के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया। लेकिन यह अल्पकालिक था, क्योंकि वर्मा को 10 जनवरी की रात को ही बाहर कर यह चार्ज राव को वापस दे दिया गया था जिससे जिन्होंने बस्सी को फिर पोर्ट ब्लेयर स्थानांतरित कर दिया गया।
स्थानांतरण को चुनौती देने वाली याचिका में, बस्सी ने दावा किया कि लगाए गए आदेश को गैर-अनुप्रयोग द्वारा मिटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह आदेश आलोक कुमार वर्मा बनाम यूओआई एंड एनआर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है, जिसने वर्मा को अपने स्थानांतरण के संबंध में अधिकारियों को प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी।