सरकार ने भेजे पांच प्रस्ताव, अभी भी कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण की जरुरत, संयुक्त किसान मोर्चा कल फिर करेगा मंथन
केंद्र की ओर से भेजे गए पांच प्रस्तावों पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर काफी विचार-विमर्श किया। केंद्र ने अपने प्रस्ताव में न्यूनतम समर्थन मूल्य, केस की वापसी और बिजली विधेयक पर अपना रुख स्पष्ट किया है। पूरी तरह सहमति न बनने से अब बुधवार को एक बार फिर बैठक आयोजित की जाएगी। एक बड़ा वर्ग आंदोलन वापस लेने के पक्ष में है जबकि दूसरा पक्ष इन प्रस्तावों पर तैयार नहीं दिखता। माना जा रहा है कि कल बैठक के बाद पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन समाप्त हो सकता है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वे हमारी मांगों पर सहमत होंगे और हमें विरोध समाप्त कर देना चाहिए...लेकिन प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। हमें अपनी आशंका है जिस पर कल दोपहर 2 बजे चर्चा होगी...हमारा आंदोलन कहीं नहीं जा रहा, यहीं रहेगा।
मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, ''सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। कुछ मुद्दों पर किसान नेताओं ने स्पष्टीकरण की मांग की।. उनकी राय सरकार को भेजी जाएगी। उम्मीद है कि कल सरकार का जवाब आएगा। इसके बाद कल 2 बजे फिर बैठक होगी।''
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि एमएसपी कमिटी में ऐसे लोग ना हों जो कृषि कानूनों के समर्थक हैं। मुकदमा वापसी पर आंदोलन वापस लेने के एलान की शर्त लगा दी है। इस शर्त से हम तैयार नहीं है।
सरकार ने प्रस्ताव में कहा, ''एमएसपी पर पीएम ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। इस कमेटी में केंद्र, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और और कृषि वैज्ञानिक सम्मलित होंगे। हम इसमें स्पष्टता चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में एसकेएम के प्रतिनिधि होंगे।''
केस वापसी प्रस्ताव में कहा गया है कि जहां तक आंदोलन के समय के केसों का सवाल है तो यूपी सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापस खींचने के बाद तत्काल ही केस वापिस लिए जाएंगे। किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापिस लेने के बाद केस वापिस लेने की सहमति बनी है।
मुआवजा: मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इन दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है।
इलेक्ट्रिसिटी बिल पर केंद्र ने प्रस्ताव में कहा, ''जहां तक इलेक्ट्रिसिटी बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेकहोल्डर्स के अभिप्राय लिए जाएंगे।''
पराली के प्रस्ताव में गया गया है, ''जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है। उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसान को मुक्त दी है।''
कृषि कानूनों को रद्द किए जाने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर एक साल से अधिक समय से किसान आंदोलित हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं।
29 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाला बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। इसके बाद एक दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बिल को मंजूरी दी थी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी।