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06 December 2019

सरकार ने जन्मदिन पर शेख अब्दुल्ला को महान नेता बताया लेकिन उनकी कब्र पर धारा 144 लागू

जम्मू कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के जन्म दिन पर गुरुवार को सरकार ने श्रीनगर के हजरतबल दरगाह स्थित कब्रगाह पर भारतीय अपराध संहिता की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगा दिया जिसके कारण पुलिस ने वहां लोगों को एकत्रित होने की अनुमति नहीं दी। जबकि राज्य सरकार ने महान नेता के तौर पर उनका उल्लेख किया।

फारूक की बहन को ही मिली इजाजत

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया अब्दुल्ला को ही शेख की कब्र पर जाकर श्रद्धांजलि देने की अनुमति दी। दक्षिण कश्मीर से पार्टी के संसद सदस्य हसनैन मसूदी को भी वहां जाने की अनुमति दी गई लेकिन आम जनता को वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई। आमतौर पर शेख के हजारों प्रशंसक इस दिन वहां एकत्रित होते हैं और अपने नेता को याद करते हैं।

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फारूक और उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त से नजरबंद

शेख अब्दुल्ला के बेटे और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल और उनके पौत्र उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त से नजरबंद हैं। यही नहीं, जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के दर्जनों नेता भी जेलों में बंद हैं। पांच अगस्त को सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 खारिज कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। सरकार ने लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया।

प्रतिबंध लगाने शेख का अनादर- सुरैया

सुरैया ने शेख की कब्रगाह पर प्रतिबंधों को उनका अनादर बताया। उनके जन्म दिन पर भी लोगों को वहां जाने की अनुमति नहीं है। सरकार कहेगी कि कोई प्रतिबंध नहीं हैं जबकि वास्तव में प्रतिबंध लागू हैं। इसके बाद सरकार कहेगी कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद किसी की भी मौत नहीं हुई है।

अन्य महिलाओं के साथ सुरैया को किया था गिरफ्तार

वयोवृद्ध सुरैया को 12 अन्य महिलाओं के साथ अक्टूबर के शुरू में उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था जब उन्होंने मुख्यधारा के नेताओं की गिरफ्तारी और अनुच्छेद 370 हटाने के विरोध में शांति मार्च निकालने का प्रयास किया। उन्हें तभी रिहा किया गया जब उन्होंने यह वादा किया कि वे अगले एक साल तक मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर कुछ नहीं बोलेंगी।

नेताओं को रिहा करने की मांग

मसूदी ने कहा कि अगर सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाए होते तो शेख की कब्र पर हजारों लोग जाते और उन्हें श्रद्धांजलि देते। उन्होंने कहा कि आम लोगों की सहमति के बगैर जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता छीन ली गई, इस वजह से लोग निराश और नाराज हैं। जनता ने सरकार के कदम को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने मांग की कि सभी नेताओं को रिहा किया जाए।

शेख ने डोगरा शासन का विरोध किया था

नेशनल कांग्रेस के एक अन्य संसद सदस्य अकबर लोन ने कहा कि उन्हें शेख की कब्र पर जाने की इजाजत नहीं दी गई। उन्होंने पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक करके खुद को सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि शेख के जन्म दिन पर उनकी कब्र पर प्रतिबंध लगाना निंदनीय है। शेख अब्दुल्ला ने डोगरा शासन के तानाशाहीपूर्ण रवैया के खिलाफ संघर्ष किया था।

जिन्ना को नकार कर धर्मनिरपेक्ष भारत का साथ

शेर ए कश्मीर भवन में आयोजित समारोह में पार्टी ने शेख के आदर्शों को याद किया। इस मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि शेख अ्दुल्ला ने मोहम्मद अली जिन्ना की दो राष्ट्र की थ्योरी को खारिज कर दिया था और महात्मा गांधी के धर्म निरपेक्ष भारत के साथ राज्य का भविष्य जोड़ दिया। शेख धर्म निरपेक्षता और लोकतंत्र के कट्टर समर्थक थे।

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TAGS: Sheikh Abdullah, Section 144, Jammu and Kashmir, Farooq Abdullah, Omar Abdullah
OUTLOOK 06 December, 2019
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