हरियाणा के मिर्चपुर में बाप-बेटी को सरेआम जलाया था जिंदा, 20 को उम्रकैद की सजा
हरियाणा में 2010 में हुए मिर्चपुर कांड में दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मामले में सभी 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले ही दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 3 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। शुक्रवार को 17 और लोगों को हाईकोर्ट ने दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है।
दिल्ली हाई कोर्ट शुक्रवार को 15 दोषियों की अपील खारिज करते हुए अपने फैसले में उन लोगों को भी दोषी ठहराया है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। इस घटना से गांव के दलितों ने पलायन कर लिया था जिससे 254 परिवारों की जिंदगी प्रभावित हुई थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि आजादी के 70 साल के बाद भी दलितों के साथ इस तरह की घटना बेहद शर्मनाक है। दलितों के खिलाफ अभी भी अत्याचार कम नहीं हुए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि वह पीडि़त परिवारों का पुनर्वास करें।
आठ साल पहले की है घटना
यह घटना 8 साल पुरानी है जब अप्रैल 2010 में हरियाणा के मिर्चपुर इलाके में 70 साल के दलित बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिन्दा जिला दिया गया था। जिसके बाद गांव के दलितों ने पलायन कर लिया था। 2011 में रोहिणी कोर्ट ने अपने फैसले में 82 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि 15 को दोषी बताते हुए कोर्ट ने सजा सुनाई थी। इसी फैसले को पीड़ित पक्ष ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 15 आरोपियों में से घर जलाने वाले तीन को उम्रकैद और आगजनी के पांच दोषियों को पांच-पांच वर्ष कैद समेत 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। मामले में कुल 97 लोग आरोपी थे. बाकी बचे दंगा भड़काने के 7 आरोपियों को डेढ़ साल की सजा मिली और एक वर्ष के प्रोबेशन पर 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रांसर्फर हुआ था मामला
घटना हरियाणा में हुई थी लेकिन उसके बावजूद इस पूरे मामले की सुनवाई पहले दिल्ली की निचली अदालत और फिर दिल्ली हाईकोर्ट में हुई.। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुआ क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को लगा कि दलितों से जुड़ें इस मामले की ठीक से सुनवाई हरियाणा में नहीं हो सकती और इस मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित करना आसान होगा अगर सुनवाई हरियाणा में ही हुई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार ने इस पूरे मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया था।