'जन्नत वैली' को लेकर हाई कोर्ट ने दिया अंतरिम आदेश, पट्टे को लेकर दोनों पक्षों का ये है दावा
नई दिल्ली। लीज़ खत्म होने से पहले ही पट्टाकर्ता द्वारा पट्टे की जमीन और पट्टाधारक के सामान को छीनने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम फैसला सुनाया है। मामला फरीदाबाद के सूरजकुंड में स्थित 15 एकड़ जमीन का है, जिसे मुंबई की वेडिंग एंड इवेंट मैनेजमेंट कंपनी वेडिंग पार्क हास्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने जमीन की मालिक बालेश देवी भड़ाना और उनके बेटे से 9 साल के लिए रजिस्टर्ड लीज पर लिया था। कंपनी ने पट्टाकर्ता पर जहां जबरन कब्जे करने और धमकाने का आरोप लगाया है, वहीं पट्टाकर्ता ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
कंपनी के डायरेक्टर संदीप अरोड़ा उर्फ करण के मुताबिक कंपनी ने उस जमीन पर 6 करोड़ रुपये खर्च कर तीन विवाह स्थल बनाए और उस एरिया को 'जन्नत वैली' के नाम से डेवलप किया। करण अरोड़ा का आरोप है कि जून 2024 में भूमि मालिक बालेश देवी भड़ाना के बेटे रोहित भड़ाना और मोहित भड़ाना ने कुछ अन्य व्यक्तियों, अंकित जैन, शुभम गर्ग और उनके ही एक पूर्व कर्मचारी अजय वर्मा के साथ मिलीभगत करके जबरन जन्नत वैली पर कब्जा कर लिया। इसके अलावा रजिस्टर्ड पट्टाधरक को बेदखल करने के बाद उन्होंने जन्नत वैली की जमीन और सामान को गैरकानूनी तरीके से एक अन्य पार्टी जैन कैटरर्स को नए पट्टे पर दे दिया। जबकि वेडिंग पार्क हास्पिटैलिटी के साथ पट्टा खत्म होने की तारीख 30 नवंबर 2026 है।
करण अरोड़ा के मुताबिक जन्नत वैली को वापस पाने के लिए वेडिंग पार्क हास्पिटैलिटी ने पट्टाकर्ता से कई बार ऑफिशियली बात करके उन्हें रजिस्टर्ड लीज और नियम कानून का हवाला दिया, लेकिन उन्होंने कब्जा छोड़ने की बजाय अपना दावा छोड़ देने के लिए धमकाया। आखिरकार कंपनी ने इंसाफ के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आरोप है कि अदालत को गुमराह करने के लिए पट्टाकर्ता ने झूठा दावा किया कि वेडिंग पार्क हास्पिटैलिटी अपना पट्टा पहले ही सरेंडर कर चुकी है, लेकिन इस दावे की सच्चाई में वह कोई सबूत पेश नहीं कर सके। वकील ने पट्टाकर्ता को परिसंपत्तियों का किराया न मिलने का भी दावा किया। हाईकोर्ट ने लीज खत्म होने से पहले किसी अन्य पक्ष के साथ नया पट्टे करने को भी गैरकानूनी करार दिया। हाईकोर्ट ने 2 अगस्त 2024 को जारी अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि जन्नत वैली की लीज और संपत्ति वेडिंग पार्क हास्पिटैलिटी के पक्ष में बरकरार रखें।
वहीं पट्टाकर्ता का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से पेश किया गया है। पट्टाकर्ता की ओर से रोहित भड़ाना का कहना है कि कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के लिए एक अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की है। आदेश में 9 अक्टूबर को अगली सुनवाई तक मौजूदा स्थिति को बनाए रखने का इरादा स्पष्ट है। यथास्थिति बनाए रखने के न्यायालय के आदेश का तात्पर्य कब्जे के हस्तांतरण से नहीं है, बल्कि संपत्ति पर प्रतिवादियों के वर्तमान नियंत्रण की पुष्टि करता है, क्योंकि पट्टे के किसी औपचारिक आत्मसमर्पण का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है।
रोहित भडाना का कहना है कि प्रतिवादियों के कब्जे की अदालत द्वारा मान्यता यथास्थिति के सिद्धांत के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य संपत्ति की वर्तमान स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव को रोकना है, जिसमें प्रतिवादियों का उस पर नियंत्रण भी शामिल है। अदालत ने कानूनी प्रक्रिया को जारी रखने के लिए एक मार्ग प्रदान किया है, जिसमें प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना है। उनका आरोप है कि याचिकाकर्ता का मकसद जन्नत वैली बदनाम करने का है।