कोरोना से मौतों पर हाईकोर्ट ने कहा, दिल्ली में खतरनाक होती जा रही है स्थिति, लग सकता है कर्फ्यू
दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में कोविद -19 मामलों की संख्या को "खतरनाक" करार दिया। यह टिप्पणी कोर्ट ने आप सरकार के 33 निजी अस्पतालों में कोरोनावायरस मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान की। कोर्ट याचिका पर अब 9 दिसंबर को सुनवाई करेगा। दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के संघ ने ये याचिका दायर की थी।
गुरुवार को दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि स्थिति की समय-समय पर समीक्षा की जा रही है और केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं। केजरीवाल सरकार ने बताया कि राजधानी में रात में या सप्ताह के अंत में कर्फ्यू लगाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन इस पर कोविड-19 से पैदा हो रहे हालातों को देखने के बाद फैसला लिया जा सकता है।
इस बीच, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल फिर से तब तक नहीं खुलेंगे, जब तक सरकार छात्रों की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हो जाती। जैन ने संवाददाताओं से कहा, "दिल्ली में स्कूलों को फिर से खोलने की कोई योजना नहीं है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही वैक्सीन उपलब्ध होगी। जब तक हम आश्वस्त नहीं होंगे कि छाभ सुरक्षित होंगे, तब तक स्कूलों को फिर से नहीं खोला जाएगा।"
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में बुधवार को 99 और मौतें दर्ज की गईं और 5,246 मामले दर्ज किए गए। कुल 5.45 लाख लोग संक्रमित हो गए हैं।
दिल्ली सरकार ने 12 सितंबर को एक आदेश दिया था जिसमें कहा गया था कि 33 निजी अस्पताल अपने 80 प्रतिशत आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखेंगे। इसके बाद स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संघ ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद दिल्ली सरकार इस आदेश पर स्टे लग गया। हालाकि 12 नवंबर को डिवीजन बेंच ने स्टे वेकेट कर दिया।
हाई कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि वह शादी समारोह में नियमों के उल्लंघन की घटनाओं पर कैसे नजर रख रही है? इसके लिए क्या प्रोटोकॉल तय किए गए हैं? कोर्ट ने कहा कि सरकार को इसके लिए औचक निरीक्षण करना चाहिए।