Advertisement
04 August 2021

हिंदी और डोगरी भाषा की जानी-मानी लेखिका पद्मा सचदेव का निधन

हिंदी और डोगरी की जानी-मानी लेखिका पद्मा सचदेव का आज सुबह मुंबई में निधन हो गया। वह 81 वर्ष की थी। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार श्रीमती सचदेव कल रात तक पूरी तरह स्वस्थ थी और आज तड़के कार्डिक अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया। श्रीमती सचदेव के परिवार में उनके शास्त्रीय गायक पति सुरेंद्र सिंह और एक बेटी हैं। वह कुछ दिनों से मुम्बई में अपनी बेटी के पास रह रहीं थीं।

17 अप्रैल 1940, जम्मू से 40 किलोमीटर दूर एक ऐतिहासिक गाँव पुरमंडल के प्रतिष्ठित राजपुरोहित परिवार में जन्मी पद्मा सचदेव को साहित्य अकेडमी पुरस्कार, सोवियत लैंड पुरस्कार, पद्मश्री सरस्वती सम्मान और साहित्य अकादमी की महत्तर सदस्यता से नवाजा जा चुका था।

उन्होंने डोगरी लोकगीतों से प्रभावित होकर बारह-तेरह बरस की उम्र से ही डोगरी में कविता लिखना शुरू किया। उन्हें डोगरी की पहली आधुनिक कवयित्री होने का गौरव प्राप्त था ।उन्होंने कुछ बरस जम्मू रेडियो के अलावा दिल्ली में डोगरी समाचार विभाग में भी कार्यभी किया था। 1969 में प्रकाशित उनके कविता संग्रह ‘मेरी कविता मेरे गीत’ को 1971 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। उनकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें: डोगरी कविताएँ, तवी ते झँना, न्हेरियाँ गलियाँ (जम्मू-कश्मीर सांस्कृतिक अकादमी से पुरस्कृत), पोटा पोटा निंबल, उत्तरवाहिनी (प्रकाशनाधीन), डोगरी से हिंदी में अनूदित कविता-संग्रह: मेरी कविता मेरे गीत, सबद मिलावा; साक्षात्कार: दीवानखाना; गोद भरी (कहानियाँ)। उन्हें 2016 में 25वें सरस्वती सम्मान से नवाजा गया ।यह सम्मान उनकी आत्मकथात्मक पुस्तक "चित चेते" के लिए मिला था।

Advertisement

साहित्य अकेडमी की ओर से जब उन्हें 2019 में फेलो बनाया गया तो उन्होंने कहा था - उन्होंने बचपन में लोकगीतों की मिली प्रेरणा से लिखना सीखा पर वहहिंदी में लिखने के लिए उन्हें प्रेरित किया था चर्चित  लेखक और धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती ने। उनका कहना था कि

जब उन्हें उनकी कविता की पहली पुस्तक ‘मेरी कविता मेरे गीत’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला तो वह सातवें आसमान पर थी और उस समय उन्हें यह विश्वास नहीं हुआ कि उन्हें यह सम्मान मुल्कराज आनंद, नामवर सिंह और रशीद अहमद सिद्दीकी के साथ मिल रहा है। वह बचपन से डोगरी लोकगीत सुनकर चमत्कृत हो जाती थीं। कौन है जो उन्हें लिखता है? कौन से आसमान में रहता है।, दस बारह साल से ही छंद जोड़ने लगी थी। अपने गाँव में रहकर लोक गीतों को करीब से जाना।" 

पद्माजी आठवीं लेखिका हैं जिन्हें फेलो बनाया गया था पद्मा जी के विचार में कविता अपने आप आती है। गद्य को लाना पड़ता है। उन्होंने कई उपन्यास लिखे जिनमे "जम्मू एक शहर था" काफी चर्चित हुआ था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Hindi and Dogri language, writer, Padma Sachdev, passes away
OUTLOOK 04 August, 2021
Advertisement