Advertisement
20 January 2024

20 जनवरी का इतिहास: पहली बार एक सिनेमेटोग्राफर को मिला दादा साहब फाल्के पुरस्कार

फिल्म निर्माण की बात करें तो संख्या के लिहाज से भारत दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने वाले देशों में शुमार है और हर फिल्म के निर्माण में पर्दे के पीछे से सहयोग देने वालों में सिनेमेटोग्राफर का एक अहम योगदान होता है।

फिल्म निर्माण में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को पुरस्कृत करने के लिए वर्ष 1969 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना की गई और फिल्मी दुनिया के महान सिनेमेटोग्राफर वी के मूर्ति को वर्ष 2008 का दादा साहब फाल्के पुरकार दिया गया। यह पहला मौका था जब किसी सिनेमेटोग्राफर को फिल्मी दुनिया के इस शीर्ष सम्मान से पुरस्कृत किया गया।

पिछली पीढ़ी के लोग वी के मूर्ति के नाम से वाकिफ होंगे। 1957 से 1962 के बीच में आई गुरुदत्त की बेहतरीन श्वेत श्याम फ़िल्मों 'चौदहवीं का चाँद', 'काग़ज़ के फूल' और 'साहब बीवी और ग़ुलाम' को फ़िल्माने वाले सिनेमेटोग्राफर वी के मूर्ति को वर्ष 2008 के प्रतिष्ठित दादासाहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया और उन्हें 20 जनवरी 2010 को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। एक सिनेमेटोग्राफर को फिल्म जगत का यह सर्वोच्च सम्मान हासिल करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: History of 20 January, first time cinematographer, received, Dadasaheb Phalke Award.
OUTLOOK 20 January, 2024
Advertisement