Advertisement
27 March 2020

लॉकडाउन में 90 साल की महिला 400 किमी दूर अपने घर जाने की मजबूर, दिल्ली में रेड लाइट पर बेचती हैं खिलौना

Outlook

कजोडी 3 घंटे से लगातार चल रही हैं। अब उन्हें हर कदम के लिए अपनी छड़ी पर झुकना होगा और अपनी बाहों का इस्तेमाल करते हुए खुद को आगे चलने के लिए धकेलना होगा। लेकिन उन्हें अभी चलते रहना होगा। उनके साथ चलने वाली किसी को भी इस महिला की असली उम्र का पता नहीं है। किसी के मुताबिक वो 90 साल से अधिक की हैं। जबकि एक अन्य के मुताबिक उनकी उम्र 100 से ज्यादा है। ये सड़क पर चल रहे एक समूह के साथ आगे बढ़ रहीं हैं। नोएडा सेक्टर 15 में रहने वाली ये बुजुर्ग महिला दिल्ली में ट्रैफिक लाइटों पर खिलौने बेचकर अपना जीवनयापन करती थी। अब ये 400 किलोमीटर दूर राजस्थान के सवाई माधोपुर में अपने गांव के लिए लौट रही हैं।

लॉकडाउन के बाद ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर दिख रहा नजारा किसी इतिहास के किताब की तरह प्रतीत होता है। इस हाईवे पर केवल वही लोग दिखाई दे रहे हैं जो अपने घर वापस जा रहे हैं। ये सभी, भूखे पेट अपने कंधे पर अपने छोटे-छोटे बच्चों को उठा हुए, छोटे-छोटे समूह में काले आसमान के नीचे सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता तय करने को मजबूर हैं।

केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से 3 हफ्ते के लिए राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा के बाद हजारों प्रवासी श्रमिक और दैनिक मजदूर शहर छोड़कर अपने-अपने गांव जा रहे हैं। आने वाले समय में रोजगार के संकट और पेट भरने की मुश्किल को देखते हुए यह लोग पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर हैं। क्योंकि, इस दौरान किसी भी तरह के यातायात के साधन को प्रतिबंध कर दिया गया है। यहां तक कि अंतर्राज्यीय बस सेवा या ट्रेन भी उपलब्ध नहीं है।

Advertisement

चलते-चलते कजोड़ी कुछ पूछने के लिए अपना सर उठाती है, और पूछती है परी चौक कितनी दूर है? उन धुंधली आंखों के लिए परी चौक एक आशा की किरण है। तभी उनमें से एक आदमी ने बताया कि परी चौक अभी 20 किलोमीटर दूर है और जब से वह चले हैं अभी केवल 10 किलोमीटर ए हैं। इस बुजुर्ग महिला के पैरों में लोहे की चूड़ियां है। एक फटे हु स्वेटर को पहने हुए ये पहले अपने पैरों को देखती हैं जो धीरे-धीरे सड़क पर आगे की ओर बढ़ रहे हैं। उनका मानना है कि उन्हें परी चौक से आगरा तक के लिए कोई वाहन मिल जाएगा जहां से वह मथुरा जा सकेंगी और फिर अपने घर सवाई माधोपुर। लेकिन वो यह भूल गई हैं कि सब कुछ बंद है।

यह परिवार लगातार 3 किलोमीटर चलने के बाद 100 मीटर की दूरी पर सड़क किनारे बैठ कर फिर से सांस लेता है। ताकि ये बूढ़ी महिला, जो पीछे चल रही है वो साथ आ जाए। कजोड़ी भी सड़क किनारे पर बैठ जाती है। उनकी पतली टांग और नुकीले घुटने के भीतर से मानों सांस दिखाई दे रही हो।वो प्लास्टिक की बोतल निकाल कर पानी पीती है और सांस लेती है। दूर भूरे आसमान में सूरज दिखाई देता है जो गगनचुंबी इमारतों के पीछे से इस महिला के चेहरे पर एक प्रकाश की किरण डाल रहा है।

तभी कुछ देर बाद एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल वहां आता है और उन्हें एक दूसरे से अलग अलग बैठने के लिए कहता है। उस कॉन्स्टेबल का कहना है कि अगर हमारे अधिकारी इन लोगों को एक दूसरे के करीब बैठे हुआ देख लेंगे तो हमारी शामत आ जाएगी। ऐसे में कजोड़ी इन समूह के बीच से उठकर उस हवलदार की नजरों से थोड़ा दूर जाकर बैठ जाती है। जहां पर वह आराम से बैठकर पांडे जी के बिस्कुट खाती हैं और परिवार के अन्य पुरुष धुम्रपान करते हैं। 90 साल की ये बुजुर्ग महिला हमेशा बैठने में आखरी होती है और उठकर चलने में पहली। यह इस कारण है कि वो अन्य लोगों के साथ चल सके। उनसे थोड़ी दूर पर बैठे 18 साल के दो बच्चे विकास और आकाश जो पिछले 4 दिन से लगातार चल रहे हैं। वह लुधियाना के खन्ना से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में अपने गांव के लिए जा रहे हैं। इ दोनों ने 250 किलोमीटर का सफर तय कर लिया है और अभी भी उन्हें 400 किलोमीटर जाना है। विकास लुधियाना में माली का काम करता है और आकाश एक जनरल स्टोर पर हेल्पर है।

एक 45 वर्षीय सब्जी विक्रेता मोहम्मद शफीक भी इन्हीं लोगों के साथ चल रहे हैं उनके साथ दो लड़के प्रदीप और अशोक हैं, जो रास्ते में ही मिले थे। वो भी इनके साथ चल रहे हैं। उनके पैतृक गांव बुलंदशहर में एक दूसरे के आसपास हैं। इसीलिए वह एक दूसरे के साथ चल रहे हैं। शफीक बता ते हैं कि पुलिस उन लोगों की पिटाई कर रही है जो अपनी सब्जियों की रेडी को सड़क पर लेकर जा रहे थे मैं किसी तरह से वहां से बचकर निकला हूं। मैंने रास्ते में हजारों गाड़ियों को हाथ दिया ताकि कोई मुझे अपनी गाड़ी में बिठा ले लेकिन किसी ने गाड़ी नहीं रोकी।

लेकिन हजार मुसीबतों के बावजूद भी ये लोग सड़क पर यूं ही चलते जा रहे हैं इनमें से कोई छोटा बच्चा है जो सड़क पर जंगली फूल तोड़ रहा है, तो किसी के सर पर भारी बोरी है। लेकिन, थके-हारे होने के बाद भी सभी अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। शाम ढल चुकी है सड़कों पर स्ट्रीट लाइट जला दी गई है। महिला, पुरुष, युवा, बुजुर्ग, हर कोई अपने घर की ओर पैदल चले जा रहा है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Hit By Coronavirus Lockdown, 90-Year-old Kajodi, Trudges Home, 400 Km Away, Rajasthan
OUTLOOK 27 March, 2020
Advertisement