यदि किसानों के विरोध प्रदर्शन पर बोलना राजद्रोह है तो मैं जेल में ही ठीक हूं: दिशा रवि
किसान आंदोलन से जुड़े टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि की जमानत पर अदालत ने शनिवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में जमानत याचिका पर घंटों सुनवाई हुई। इस दौरान अडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने दिल्ली पुलिस से कुछ तीखे सवाल भी पूछे। बाद में अदालत ने अपना फैसला 23 फरवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया। एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट में दिल्ली पुलिस की तरफ से दलीलें रखीं। उनके बाद अब दिशा रवि के वकील कोर्ट में अपना पक्ष रखा।
रवि दिशा के वकील ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए किसानों के विरोध पर टूलकिट जिम्मेदार है। रवि ने अपने वकील के माध्यम से अदालत को बताया, "अगर वैश्विक स्तर पर किसानों के विरोध को उजागर किया जाए तो मैं जेल में ही ठीक हूं।"दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि जलवायु कार्यकर्ता दिश रवि द्वारा साझा किया गया दस्तावेज़ केवल एक टूलकिट नहीं था और कहा: "इस टूलकिट को बनाने का पूरा उद्देश्य अभियुक्तों के बीच एक साजिश थी।
दिशा रवि ने वकील के जरिए कहा कि मेरा खालिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है। मेरा सिख फॉर जस्टिस या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से कोई कनेक्शन नहीं है। इस मामले में यह साफ है कि अगर आप विरोध करेंगे तो राजद्रोह का केस लग जाएगा। अगर मैं आज यह कहती हूं कि यहां किसी के साथ गलत हुआ तो इसमें कोई नई बात हीं है, ऐसा तो सालों से कहा जा रहा है। लेकिन आज कहने पर ताला लगाने की कोशिश हो रही है। इसमें कोई शक नहीं है कि जागरुकता लाने की कोशिश हुई, पर इसके जरिए हिंसा भड़काने का आरोप गलत है।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने अदालत को बताया कि टूलकिट में हाइपरलिंक्स ने लोगों को खालिस्तानी वेबसाइटों से जोड़ा है जो भारत के प्रति नफरत फैलाते हैं। उन्होंने कहा,"यह सिर्फ एक टूलकिट नहीं था। असली योजना भारत को बदनाम करने और यहां अशांति पैदा करने की थी।" दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि दिशा रवि ने व्हाट्सएप चैट, ईमेल, अन्य सबूतों को नष्ट कर दिया और कानूनी कार्रवाइयों से अवगत थी, जिससे पता चलता है कि इस टूलकिट के पीछे एक भयावह डिजाइन था।