Advertisement
05 June 2023

पर्यावरण दिवस - पहाड़ की वादियों में पर्यटन : विकास या विनाश

भारतीय सभ्यता में धार्मिक यात्राओं का एक विशेष महत्व है। भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित हिंदुओं के प्रसिद्ध चार धाम गंगोत्री,यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की यात्रा भी इन्हीं में से एक हैं। यह यात्रा केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य की भी यात्रा है, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस के साथ साथ यह यात्रा पर्यटन और आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। लेकिन इस यात्रा के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय अस्तित्व की समस्या अब एक गंभीर रूप लेने लगी है। चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं और इस कारण प्राकृतिक संतुलन में अस्थायी परिवर्तन देखने को मिलता है। आज हम इस लेख में चार धाम यात्रा और उसके द्वारा पर्यावरण पर हो रहे प्रभाव के बारे में बात करेंगे।

 

 

Advertisement

 

हिमालय क्षेत्रों में बढ़ता प्रदूषण

 

 

चारधाम यात्रा में अब वाहनों का प्रयोग अत्यधिक बढ़ गया है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। वायु प्रदूषण से वातावरण में कार्बन मोनोक्साइड, नाईट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक प्रदूषकों का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा हिमालयी पारिस्थितिकी में ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, धातु प्रदूषण और अन्य प्रदूषण रूपों में भी वृद्धि देखी जा रही है। यह प्रदूषण हिमालयी जलवायु, वनों और जीव विविधता पर भी बुरा प्रभाव डालता है। 

 

 वनोन्मूलन व भू कटाव की समस्या

 

 

विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा के दौरान हिमालय क्षेत्र में ट्रैफिक की समस्या काफी बढ़ जाती है। यात्रियों की सहूलियत के लिए सड़कों का निर्माण व चौड़ीकरण तो हो जाता है लेकिन इसके कारण प्रकृति को हो रहे विनाश के बारे में कोई नहीं सोचता। इस निर्माण की वजह से वनोन्मूलन की समस्या बढ़ती जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार चार धाम सड़क योजना के लिए 56000 से ज्यादा पेड़ों की बलि दिए जाने का निर्णय लिया गया है। हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पेड़ ना केवल यहां की वायु को शुद्ध रखते हैं बल्कि इनकी जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं जिससे भू कटाव की समस्या से भी बचा जा सकता है। ऐसे में हिमालय क्षेत्र में वनों का कटना भूस्खलन व भू कटाव जैसी घटनाओं को भी बढ़ावा देता है।

 

 

अनुचित कचरा प्रबंधन

 

 

चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी मात्रा में कचरा उत्पन्न होना भी मुख्य समस्याओं में से एक है। यात्री पैकेजिंग मैटेरियल्स, प्लास्टिक बोतलें, खाद्य सामग्री के पैकेट, पूजा सामग्री और अन्य विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग करते हैं। जिस वजह से बहुत सारा कचरा जमा हो जाता है। यात्रा के दौरान उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त सामग्री और कचरे का संचयन और उसका निपटारा समय-समय पर नहीं हो पाता। इससे उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक कचरे की समस्या भी बढ़ती है, जिससे स्थानीय जनसंख्या, वन्यजीव और जलवायु के संतुलन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

 

 जानवरों और वन्यजीवन पर नकारात्मक प्रभाव

 

 

यात्रा के दौरान, घोड़े, खच्चर और याक आदि जानवर श्रद्धालुओं की यात्रा को सरल बनाने के काम में लिए जाते हैं। इन जानवरों को उचित देखभाल और आहार की कमी के कारण अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनकी सेहत भी प्रभावित होती है। यात्रा के दौरान पर्यटकों की बढ़ती संख्या से यात्रा क्षेत्र में प्राकृतिक वन्यजीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यहां के जंगली जानवरों को उनका निवास स्थान छोड़ना पड़ता है या फिर मानव वन्य जीव संघर्ष जैसे हालात देखने को मिलते हैं। बढ़ती पर्यटन गतिविधियां उनके प्रजनन और खाने की संभावना पर भी असर डालती हैं।

 

 

समस्या का निवारण

 

 

चारधाम यात्रा को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए विचारशील उपायों को अपनाना जरूरी है। यात्रा के दौरान प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए इसे (प्लास्टिक) बायोडीग्रेडेबल और रिसाइक्लेबल चीजों से बदलना होगा। साथ ही यात्रा के दौरान प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सीमित करना चाहिए। सरकार या एनजीओ द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इन सभी उपायों के अलावा, हमें अपने प्राकृतिक आदर्शों के साथ जीने का प्रयास करना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।

(लेखिका शिखा पांडे डीएसबी कॉलेज नैनीताल से एनवायरमेंटल साइंस में एमएससी डिग्री धारक हैं)

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Impact of pilgrim Tourism, impact of pilgrim Tourism on Himalayas, kedarnath, badrinath, yamunotri, gangotri
OUTLOOK 05 June, 2023
Advertisement