औरंगाबाद ट्रेन हादसे में मारे गए श्रमिक मजदूर के अंतिम शब्द- ‘हम बड़े कष्ट में हैं और बिना भोजन-पानी के फंसे हुए हैं'
पिछले दिनों औरंगाबाद में रेल की पटरी पर सो रहे मध्य प्रदेश के 16 मजदूरों की मालगाड़ी के गुजर जाने से मौत हो गई थी। यह हादसा उस दौरान हुआ जब मजदूर महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश स्थित अपने-अपने घर पैदल आ रहे थे। थक जाने के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। औरंगाबाद रेल हादसे में शहडोल जिले के अंतौली गांव ने बहुत कुछ खो दिया। इस हादसे के बाद गांव में 9 मई की शाम दीपक सिंह समेत नौ शव एक साथ पहुंचे।
इस हादसे में जान गंवाने वाले दीपक सिंह के नाना भोला सिंह बताते हैं कि महाराष्ट्र के जालना से निकलने से एक दिन पहले दीपक ने उन्हें अपने पास बुलाया था। भोला सिंह दीपक की बातों को याद करते हुए कहते हैं, "उसने कहा था, हम बड़े कष्ट में हैं और बिना भोजन-पानी के फंसे हुए हैं।" आगे भोला सिंह बताते हैं, ‘उस समय मैंने दीपक से कहा कि रेल सेवा फिर से खोले जाने तक किसी तरह से रुक जाओ। इस पर दीपक ने कहा कि उसके जानने वाले आधे लोग पहले ही निकल चुके हैं।जिसके बाद मैंने उससे कहा कि वह पैदल न आएं, लेकिन बाद में उनका मन बदल गया।”
26 साल का दीपक उन 20 लोगों में शामिल था जो 850 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश में अपने पैतृक गांवों के लिए जालना से निकले थे। रेलवे की पटरियों के साथ चलते हुए, वे खाने और आराम करने के लिए एक जगह पर रुक गए और थक कर सभी वहीं सो गए। सुबह करीब 5 बजे एक ट्रेन उनके ऊपर से गुजरी। उनमें से चार, जो पटरियों से थोड़ा दूर सो रहे थे बच गए। मारे गए 16 लोगों में से 11 शहडोल के थे, जबकि पांच पड़ोसी उमरिया जिले के थे। दोनों बड़े पैमाने पर आदिवासी जिले हैं।
मां के मरने और पिता के दूसरी शादी करने के बाद से ही दीपक अपने नाना-नानी के साथ रहता था। वह अपने पिता के साथ कम ही बात करता था। दीपक के पिता अशोक ने बताते हैं, 'मैं हमेशा सोचता था कि जब वह बड़ा हो जाएगा, तो वह समझ जाएगा कि बेटा, बेटा ही होता है, वह मेरे बुढ़ापे की आशा थी। दीपक अपने पीछे 22 साल की पत्नी और 18 महीने के बेटे को छोड़ गया है।'
हादसे में मारे गए ज्यादातर लोग एक-दूसरे से संबंधित थे। दीपक की पत्नी ने न केवल अपने पति बल्कि अपने दो भाइयों, निर्वेश और रावेंद्र को भी खो दिया। हादसे में जान गंवाने वाला एक अन्य चौबीस वर्षीय धर्मेंद्र, दीपक का चाचा था। वह जनवरी 2020 में जालना गया था। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेता तेजप्रताप सिंह उइके, जो दो बार स्थानीय विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, ने कहा कि धर्मेंद्र ने उनके राजनीतिक और सामाजिक अभियानों के दौरान उनके साथ काम किया था।
उइके ने बताया कि धर्मेंद्र ने उन्हें जनवरी में कहा था कि वह जालना में एक स्टील प्लांट में काम करने जा रहे हैं। उसके पास गांव और जालना में कोई काम नहीं था, वह कम-से-कम रोजाना काम करने और कमाने में सक्षम था। मैंने उसे जून तक संपर्क में रहने और जून में वापस लौटने के लिए कहा था, ताकि वह धान की बुवाई के मौसम के दौरान अपने परिवार की मदद कर सके। धर्मेंद्र ने बीएसएफ भर्ती अभियान में भी भाग लिया था, रनिंग राउंड को तो उसने क्वालिफाई कर लिया, लेकिन घुटने की समस्या के कारण मेडिकल फिटनेस राउंड को क्वालीफाई नहीं कर पाया।
शहडोल के जिला कलेक्टर सतेंद्र सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने प्रत्येक पीड़ित के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। उन्होंने बताया, ‘हमने एसबीआई को पत्र भेजा है और एक या दो दिन में राशि उन्हें दे दी जाएगी’। साथ ही, उन्होंने ये भी बताया कि कुछ परिवारों को राज्य सरकार की अन्य योजनाओं जैसे कि तेंदू पत्ता श्रमिक कल्याण योजना (बीड़ी पत्तियों के उत्पादन में लगे परिवारों के लिए) और संबल योजना (असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए) तहत अतिरिक्त राशि दी जाएगी।