वर्चुअल बैठक में बाइडेन ने रूस-यूक्रेन जंग में भारत के मानवीय समर्थन का किया स्वागत, पीएम मोदी ने कहा- बातचीत से निकलेगा शांति का रास्ता
रूस यूक्रेन में जंग के बीच सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल बैठक हुई जिसमें पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में बुचा शहर में निर्दोष नागरिकों की हत्या की खबर बहुत ही चिंताजनक थी। हमने तुरंत इसकी निंदा की और निष्पक्ष जांच की भी मांग की। हमें उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत से शांति का रास्ता निकलेगा तो जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों के रूप में, हम स्वाभाविक भागीदार हैं। मैं यूक्रेन के लोगों के लिए भारत के मानवीय समर्थन का स्वागत करना चाहता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि बूचामें निर्दोष नागरिकों की हत्या की हालिया रिपोर्ट बहुत चिंताजनक है। हमने तुरंत इसकी निंदा की और निष्पक्ष जांच की मांग की। हमें उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत से शांति का रास्ता निकलेगा।
जो बाइडेन ने कहा कि हम मजबूत और बढ़ती प्रमुख रक्षा साझेदारी साझा करते हैं। दुनिया के दो सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों के रूप में, हम स्वाभाविक भागीदार हैं। हमारी आज की बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन में स्थिति बहुत चिंताजनक बनी हुई है।
बाइडेन ने कहा कि हमारी अधिकांश भागीदारी हमारे लोगों और हमारे साझा मूल्यों के बीच एक गहरा संबंध है। हमारी दोस्ती और हमारे साझा मूल्य। मैं यूक्रेन के लोगों के लिए भारत के मानवीय समर्थन का स्वागत करना चाहता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने कई बार यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपतियों से टेलीफोन पर बात की है। मैंने उनसे न केवल शांति की अपील की बल्कि राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ सीधी बातचीत करने का भी सुझाव दिया। हमारी संसद में यूक्रेन पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि आज हमारी बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन की स्थिति चिंता का विषय है। कुछ हफ्ते पहले, यूक्रेन में 20,000 से अधिक भारतीय फंसे हुए थे, उनमें से ज्यादातर युवा छात्र थे।
बाइडेन ने कहा कि मुझे आज वस्तुतः आपसे और आपके दो मंत्रियों और आपके राजदूत के साथ बात करने का अवसर पाकर प्रसन्नता हो रही है। हम कोविड -19 के दौरान वैश्विक चुनौतियों का सामना करने, स्वास्थ्य प्रतिभूतियों को आगे बढ़ाने और आर्थिक संकट पर नज़र रखने के बारे में समान चिंता रखते हैं।
बता दें कि रूस और यूक्रेन के जंग में भारत का रुख तटस्थ रहा है। भारत ने किसी भी सार्वजनिक मंच से रूस की खुलकर आलोचना नहीं की और रूस के खिलाफ जब भी वोटिंग करने में हिस्सा नहीं लिया। भारत दोनों देशों को युद्धविराम की बात करता रहा है और मानवाधिकार के हनन को लेकर भी चिंता जताई है। अमेरिका की ओर सेतमाम बड़े देशों को रूस के खिलाफ आवाज उठाने की सलाह दी जा रही थी। इससे भारत के इस रुख से अमेरिका के साथ रिश्तों पर असर पड़ा।