फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का करार
इस सौदे के लिए करार पर हस्ताक्षर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत की यात्रा पर आए फ्रांसीसी रक्षामंत्री ज्यां यीव ल द्रियों ने किये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 माह पूर्व अपने फ्रांस दौरे के समय 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना का ऐलान किया था।
इस लड़ाकू विमान की खरीद पर संप्रग सरकार के दौर में रही कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे। नरेन्द्र मोदी सरकार ने कीमतों को लेकर नए सिरे से बातचीत की थी। इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत ऑफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और आफसेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किये जा सकेंगे।
36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत करीब 3.42 अरब यूरो है। इसके शस्त्राों की लागत करीब 71 करोड़ यूरो है और यह कीमत इस्राइली हेलमेट माउन्टेड डिस्प्लेज को शामिल कर भारत के अनुकूल परिवर्तनों के साथ 170 करोड़ यूरो हो जाएगी।
राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति 36 महीने में शुरू हो जायेगी और यह अनुबंध किये जाने की तिथि से 66 महीने में पूरी हो जायेगी। इन विमानों में मेटीयोर तथा स्कैल्प जैसी अत्याधुनिक मिसाइलें दागी जा सकती हैं, जिनसे भारतीय वायु सेना को अपने शस्त्र बेड़े में नयी क्षमता हासिल हो जाएगी। इन विमानों की खासियत इसकी बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मेटीयोर मिसाइल है। कुल 150 किमी की मारक क्षमता वाला यह रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र हवा से हवा में निशाना साध सकता है।
राफेल लड़ाकू विमानों में बीवीआर मेटीयोर मिसाइल का मतलब है कि भारतीय वायु सेना देश की भूभागीय सीमा में रहते हुए पाकिस्तान के अंदर और उत्तरी तथा पूर्वी सीमाओं के दूसरी ओर लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। वर्तमान में पाकिस्तान के पास केवल 80 किमी की मारक क्षमता वाली बीवीआर है। करगिल युद्ध के दौरान भारत ने 50 किमी की मारक क्षमता वाली बीवीआर का उपयोग किया था, जबकि पाकिस्तान के पास ऐसी कोई मिसाइल नहीं थी।
इस विमान से दागी जा सकने वाली स्कैल्प लंबी दूरी की, हवा से सतह में मार करने वाली क्रूज मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 300 किमी है। इससे भी भारतीय वायु सेना को अपने विरोधियों पर भारी पड़ने की क्षमता मिलेगी।