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10 March 2018

दुनिया की दिग्गज कंपनियों के बड़े पदों पर बढ़ती भारतीयों की धमक

सत्या नडेला (बाएं), पराग अग्रवाल (बीच में), सुंदर पिचाई (दाएं)

दुनिया की दिग्गज कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्रट, गूगल, ट्विटर पर बड़े पदों पर भारतीयों की धमक बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में एक नया नाम जुड़ा है पराग अग्रवाल का, जिन्हें ट्विटर ने अपना नया चीफ टेक्निकल ऑफिसर बनाया है। आइए, जानते हैं ऐसे तीन भारतीयों के बारे में।

पराग अग्रवाल

माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने पराग अग्रवाल को अपना नया चीफ टेक्निकल ऑफिसर (सीटीओ) नियुक्त किया है। उन्हें 2016 में कंपनी छोड़ने वाले एडम मेसिंगर के बदले यह जिम्मेदारी दी गई है। आईआईटी बॉम्बे के छात्र पराग ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की है। ट्विटर की वेबसाइट के मुताबिक, सीटीओ के रूप में पराग कंपनी की तकनीकी रणनीति का नेतृत्व करेंगे। उनके जिम्मे मशीन लर्निंग, ट्विटर के ग्राहक एवं राजस्व उत्पाद और इंफ्रास्ट्रक्चर टीम की देखरेख होगी।

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पराग 2011 में बतौर एड इंजीनियर ट्विटर से जुड़े थे। उन्हें हाल ही प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर इंजीनियर का खिताब दिया गया था।

इसके बाद उन्होंने एड सिस्टम बढ़ाने के प्रयासों की जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने ऑनलाइन मशीन लर्निंग के लिए भी एक प्लेटफार्म तैयार किया। पराग ने बड़े पैमाने पर डाटा रिसर्च के क्षेत्र में काम किया है। वह माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च, याहू रिसर्च और एटीएंडटी लैब्स जैसी दिग्गज कंपनियों से जुड़े रहे। ट्विटर ज्वाइन करने से पहले उन्होंने एटी एंड टी, माइक्रोसॉफ्ट और याहू में रिसर्च इंटर्नशिप की हैं। 

ट्विटर में पराग के योगदानों में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से ट्विटर यूजर्स की टाइमलाइंस में ट्वीट्स के औचित्य बढ़ाने के प्रयास भी शामिल हैं। ट्विटर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से खुद के गलत इस्तेमाल को भी रोकता है। ट्विटर के प्रवक्ता ने बताया- सीटीओ के तौर पर उनका काम मशीन लर्निंग और एआई सीखाने पर केंद्रित होगा। इसके अलावा राजस्व उत्पाद और बुनियादी ढांचा टीमों की स्केलिंग करना भी होगा। ट्विटर ने इस हफ्ते घोषणा की थी कि वह अपने प्लैटफॉर्म पर 'सामूहिक स्वास्थ्य, खुलापन और सार्वजनिक बातचीत में शिष्टाचार बढ़ाने' के मकसद से समाज विज्ञान का एक निदेशक नियुक्त करना चाहता है।

सुंदर पिचाई 

सुंदर पिचाई के नाम से सब लोग वाकिफ हैं। पिचाई गूगल के सीईओ हैं। गूगल कंपनी में सुंदर पिचाई गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज के बाद सबसे ताकतवर आदमी हैं। साथ ही वह गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के सदस्य भी हैं।

भारत के चेन्नई में शहर में 12 जुलाई 1972 को सुंदर पिचाई का जन्म हुआ था। अभी उनकी आयु मात्र 46 वर्ष की है। सुंदर पिचाई का असली नाम पिचाई सुंदराजन है। सुंदर का बचपन में टेक्नोलॉजी से लगाव बिल्कुल नहीं था। वो अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान थे।

सुंदर पिचाई की याददाश्त जबरदस्त बताई जाती है। जब तमिलनाडु में इनके घर पर साल 1984 में पहली बार टेलीफोन लगा था, तब सभी रिश्तेदार किसी का नंबर भूल जाने पर सुंदर की याददाश्त का सहारा लेते थे। सुंदर को छोटी सी छोटी चीजें भी याद रह जाती हैं।

सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड्गपुर से पढ़ाई की है। सुंदर ने जब अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म कर ली, तब उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिली। सुंदर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी भेजने के लिए उनके पिता के पास एयर टिकट के पैसे नहीं थे। उनके पिता ने कर्जा लेकर उनके टिकट का इन्तजाम किया था।

जिस गूगल क्रोम (Google Chrome) को आज पूरी दुनिया इस्तेमाल करती है, उसके पीछे सुंदर का ही दिमाग है।ट्विटर ने साल 2011 में सुंदर को जॉब का ऑफर दिया था और वो तैयार भी हो गए थे, लेकिन गूगल ने नौकरी ना छोड़ने के 305 करोड़ रूपये सुंदर को दिए थे।

सुंदर पिचाई के जीवन में सफलता के दो मील के पत्थर हैं। पहला उन्होंने Gmail और Google मैप ऐप्स तैयार किए जो रातों रात लोकप्रिय हो गए।

सत्या नडेला

माइक्रोसॉफ्ट ने 2014 में भारत के सत्या नडेला को अपना नया सीईओ बनाया था। नडेला ने इस पद पर स्टीव बालमर की जगह ली थी। इस कंपनी के इतिहास में इस पद पर बैठने वाले नडेला तीसरे शख्स हैं। इससे पहले कंपनी के सह संस्थापक बिल गेट्स और मौजूदा स्टीव बालमर इसके सीईओ रह चुके हैं।

माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक व पूर्व चेयरमन बिल गेट्स ने कहा था, 'परिवर्तन के इस दौर में माइक्रोसॉफ्ट का नेतृत्व करने के लिए सत्य नडेला से बेहतर कोई व्यक्ति नहीं होगा।' उन्होंने नडेला को अभियांत्रिकी कौशल, व्यावसायिक दृष्टिकोण वाला अधिकारी बताया है, जिनमें लोगों को साथ लाने की क्षमता है।

क्रिकेट के शौकीन नडेला 1992 में माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े थे। नडेला की शुरुआती पढ़ाई भारत में हुई। वह बेगमपेट के हैदराबाद पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करते थे। इसके बाद नडेला ने मणिपाल यूनिवर्सिटी से इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर वह अमेरिका चले गए। जहां उन्होंने विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस और शिकागो यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई पूरी की।

सत्या नडेला को ‘क्लाउड गुरु’ भी कहा जाता है। आईटी इंडस्ट्री में क्लाउड उस सर्विस को कहते हैं, जो इंटरनेट पर पूरी तरह से चलती है। इसके यूज से आप कम्प्यूटर फाइल इंटरनेट के जरिए दुनिया के किसी भी कोने से देख या प्रयोग कर सकते हैं।

सत्या नडेला का परिवार आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले का रहने वाला है। इनके पिता बीएन युगांधर एक आईएएस अधिकारी हैं और 2004-09 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले योजना आयोग के सदस्य रह चुके हैं। सत्या नडेला ने 1992 में शादी की थी। उनकी शादी, उनके पिता के बैचमेट केआर वेनुगोपाल की बेटी अनुपमा से हुई थी। जिस साल नडेला माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े उसी साल ये शादी हुई। सत्या और अनुपमा नडेला के तीन बच्चे हैं

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OUTLOOK 10 March, 2018
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