Advertisement
23 August 2023

नैनीताल - "झीलों से घिरा यह शहर पर्यटकों का पसंदीदा शहर”

सरोवर नगरी

 

लेक डिस्ट्रिक्ट के नाम से विख्यात नैनीताल उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित है। झीलों से घिरा यह शहर पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। ‘नैनी’ का अर्थ है आंखें और ‘ताल’ यानी झील। प्रमुख झील नैनी की वजह से इसका नाम पड़ा नैनीताल। इसके खुर्पाताल, सातताल, नकुचियाताल जैसी खूबसूरत झीलें यहां का आकर्षण है। नैनी झील में बोटिंग और नयना देवी के दर्शन को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। इसके अलावा मॉल रोड, चीना (नैना) पीक, चिड़ियाघर, कैमल्स बैक, ट्रिफिन टॉप, तिब्बत मार्केट, किलबरी, पंगोट समेत कई जगहें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

Advertisement

 

अंग्रेजों की खोज

 

18 नवंबर, 1841 को पी. बैरन नाम के अंग्रेज व्यापारी ने नैनीताल का दस्तावेजीकरण किया था। इतिहास बताता है कि कुमाऊं के कमिश्नर ट्रेल 20 साल पहले ही नैनीताल आ चुके थे, मगर यहां की आबोहवा और झील की नैसर्गिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए उन्होंने इसका प्रचार न करने का निर्णय लिया था। चीनी का व्यापार करने वाले पी. बैरन को पहाड़ों में घूमने का शौक था। एक बार वह बद्रीनाथ से कुमाऊं की तरफ आए तो यहां शेर का डांडा के पास उन्हें एक सुंदर झील के बारे में पता चला। स्थानीय लोगों की मदद से बैरन ने करीब 2360 मीटर की ऊंचाई तक पैदल सफर किया और एक सुंदर स्थान पर पहुंचे। उन्होंने यहां खूबसूरत झील को देखा तो उनके मन में वह बस गई। उन्होंने इंग्लैंड लौटकर एक यात्रा वृत्तांत लिखा और यह प्रकाशित होने के बाद नैनीताल आम लोगों के बीच अस्तित्व में आया।

 

कठिन जीवन

 

सरोवर नगरी खूबसूरत है, मगर नैनीताल ने कष्ट भी खूब सहे हैं। इस शहर में वर्ष 1880 में भूकंप आया था, जिसमें विश्व प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गया था। तीन दिनों तक निरंतर विनाशकारी भूस्खलन हुआ, जिसमें 151 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें 108 भारतीय और 43 यूरोपीय थे। हादसे के बाद अंग्रेजों ने 1890 में विभिन्न क्षेत्रों में 65 नालों का निर्माण कराया, जिन्हें शहर की धमनियां कहा गया। आज पर्यटन के कारण नैनीताल पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। पूरे शहर का प्रदूषित पानी नैनी झील में जा रहा है। झील के चारों तरफ घने जंगल भी धीरे-धीरे कटते जा रहे हैं। शहर अब कॉन्क्रीट का जंगल बनता जा रहा है। पर्यावरणविद समय-समय पर सरकार और समाज को सचेत करते रहते हैं, लेकिन अभी भी नैनीताल के संरक्षण के लिए जो गंभीरता समाज में होनी चाहिए, उसकी कमी दिखाई देती है।

 

पहाड़ी जायके का लुत्फ

 

नैनीताल आने वाले पर्यटकों को शहर की आबोहवा के साथ-साथ यहां का खान-पान भी बहुत भाता है। पहाड़ के व्यंजन जैसे आलू के गुटके, कुमाऊंनी रायता, भांग की चटनी, भट्ट की चुड़कानी, भट्ट के डुबके, मडुवे की रोटी, मडुवे के मोमो और इसके अलावा मोमो, चाउमीन व अन्य आम भोजन भी यहां के सौंदर्य में अधिक स्वादिष्ट हो जाते हैं। साथ ही ‘अरसा’ भी पहाड़ के लोगों और पर्यटकों को काफी पसंद है। खासकर मीठे के शौकीन लोग अरसा बहुत शौक से खाते हैं। यह एक पारंपरिक पहाड़ी मिठाई है, जिसे ज्यादातर त्योहारों या विशेष अवसरों पर बनाया और परोसा जाता है। पहाड़ी व्यंजनों के अलावा बवाड़ी की नमकीन और लोटे वाली जलेबी बहुत प्रसिद्ध है। जो भी नैनीताल आता है, वह इन जायकों का आनंद जरूर लेता है।

 

वनस्पतियों की खान

 

नैनीताल की फिजा वनस्पतियों के लिए मुफीद है। यही कारण है कि नैनीताल और इसके आसपास के इलाकों में दुर्लभ जड़ी बूटियां पाई जाती है। ग्रीन टी, हर्बल उत्पादों के दौर में नैनीताल, बाजार को उपयुक्त कच्चा माल उपलब्ध कराता है। इससे जहां एक ओर रोगियों को लाभ मिलता है, वहीं स्थानीय निवासियों के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा होते हैं। नैनीताल में पक्षी प्रेमियों के लिए भी बहुत संभावनाएं हैं। बीते कुछ वर्षों में नैनीताल जिले के सातताल इलाके में बर्ड वॉचिंग के लिए पक्षी प्रेमी देश भर से पहुंचते हैं।

 

कई शख्सियतों का स्कूल

 

पर्यटक स्थल के अतिरिक्त यह जगह विद्यार्थियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। देश के सबसे शानदार बोर्डिंग स्कूल नैनीताल में ही हैं। अमिताभ बच्चन, कबीर बेदी, नसीरुद्दीन शाह जैसे लोग नैनीताल के सेंट जोसेफ स्कूल, शेरवुड स्कूल से पढ़े हुए हैं। नैनीताल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का चलन बरसों पुराना है। यहां एक जमाने से थियेटर होता है। थियेटर के कलाकार आज भी पूरे जोश से कला के प्रति समर्पित हैं। नैनीताल रंगमंच से निर्मल पांडेय, ललित मोहन तिवारी, सुनीता रजवार जैसी अभिनय प्रतिभाएं निकली हैं, जिन्होंने विश्व पटल पर नाम रोशन किया है। नैनीताल में सर्व धर्म समभाव का भाव विद्यमान है। मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च और मस्जिद एक साथ मिलकर लोगों को सही राह दिखाते हैं। जाड़े के मौसम में होने वाला शरदोत्सव एक लोकप्रिय सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है, जिसमें स्थानीय कलाकार पारंपरिक कला का प्रदर्शन करते हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Nainital, Uttarakhand, nainital tourist place, intersting facts about tourist place nainital,
OUTLOOK 23 August, 2023
Advertisement